अधिक तापमान के चलते सरसों बुवाई का श्रीगणेश नहीं
(सभी तस्वीरें- हलधर)जबकि, सरसों बुवाई का उचित समय एक से अक्टूबर अंतिम सप्ताह तक कर सकते है। कृषि अधिकारियों का भी मानना है कि अधिक तापमान में फसलों की बुवाई होने से उत्पादन पर असर पड़ेगा। विभाग की ओर से अभी कुछ इंतजार कर बुवाई करने की सलाह किसानों दी जा रही है। उनके अनुसार रबी की बुवाई के लिए 23 से 28 डिग्री तक ही तापमान होना चाहिए। जबकि, अभी औसतन 35 से 40 डिग्री तक का तापमान है। गौरतलब है कि सर्वाधित तापमान श्रीगंगानगर जिले में दर्ज किया गया। यहां 41 डिग्री सेल्सियस तापमान रिकॉर्ड हुआहै। उल्लेखनीय है कि बारिश की कमी से खरीफ में हुए नुकसान के बाद अब किसान रबी फसल की तैयारी में जुटे हैं। कई किसानों ने हकाई कर बुवाई के लिए खेत तैयार कर लिए है। कृषि वैज्ञानिकों का कहना है कि रबी फसल की बुवाई जमीन में नमी और तापमान पर निर्भर करती है। जमीन में नमी कम होने की दशा में बुवाई करने से किसानों की बीज लागत बढ़ जाती है। वहीं, तापमान की अधिकता से बीज अंकुरण में दिक्कत आती है। इससे बीज खराब होने का डर बना रहता है। किसानों ने बताया कि बारिश अच्छी होने के बाद भूमि में नमी बनी होने से एक अक्टूबर तक किसान सरसों की बुवाई कर देते थे। लेकिन, इस बारिश के बाद ज्यादा तापमान ने किसानों के हाथ बांधे हुए है।
उचित समय 20 अक्टूबर तक
सरसों अनुसंधान निदेशालय के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. अशोक कुमार शर्मा ने बताया कि तापमान को देखते हुए अभी किसानों को सरसों की बुवाई से बचना चाहिए। किसान 20 अक्टूबर तक सरसों की बुवाई करें। यदि जमीन में नमी कम है तो बीज दर ज्यादा रखकर किसान बुवाई कर सकते है।
नहीं हुआ श्रीगणेश
तापमान ज्यादा होने से प्रदेश के भरतपुर, करौली, दौसा, सवाईमाधोपुर, टोंक सहित दूसरे जिलों में अभी सरसों बुवाई का श्रीगणेश नहीं हो पाया है। विभागीय अधिकारियों के अनुसार किसान खेत तैयार करके तापमान कम होने का इंतजार कर रहे है। उम्मीद है कि आगामी सप्ताह से भरतपुर क्षेत्र में सरसों की बुवाई किसान कर सकते है। गौरतलब है कि प्रदेश में सरसों बुवाई का श्रीगणेश भरतपुर जिले से होता रहा है।
लक्ष्य अभी तय नहीं
कृषि विभाग ने वर्ष 2024-25 के लिए अभी बुवाई लक्ष्य तय नहीं किए है। लेकिन, पिछले साल ज्यादा तापमान और बाद में ज्यादा बारिश के चलते किसान खेत तैयार नहीं कर पाए थे। इस कारण सरसों की बुवाई 37 लाख हैक्टयर क्षेत्रफल में सिमट गई थी। इस बार ज्यादा तापमान बुवाई को प्रभावित कर रहा है।
कुछ दिन रूककर करें बुवाई
सरसों की बुवाई का उचित समय एक से 20 अक्टूबर और दिन-रात का तापमान 28 डिग्री होना आवश्यक है। इसी प्रकार गेहूं की बुवाई का समय 15 से 20 नवम्बर और तापमान का 20 से 22 डिग्री होना जरूरी है। अधिक तापमान मे बुवाई करने से फसलें जलने और उत्पादन पर असर पडऩे की पूरी सम्भावना रहती है।
यह रखें बीज दर
कृषि विभाग की ओर से तापमान मे कमी आने पर ही बुवाई करने की सलाह दी जा रही हैै। किसानो को सरसों चार किलो, गेहूं सौ किलो और चना 6 किलो प्रति हैक्टयर बुवाई करने की सलाह दी है।
घट रहा है प्रदेश में रकबा
बता दें कि मौसमी कारणों के चलते प्रदेश में सरसों का क्षेत्रफल पिछले तीन-चार साल से घटता जा रहा है। सबसे ज्यादा प्रभाव सरसों और चना फसल पर देखने को मिल रहा है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि प्रदेश में सरसों और चना की बुवाई का कार्य मानसून पर निर्भर करता है। जिस साल सितम्बर माह के अंत में अच्छी बरसात हो जाती है, उस साल दोनो फसलो की अच्छी बुवाई प्रदेश में देखने को मिलती है। लेकिन, इस साल अक्टूबर तक मानसून का दौर बना होने से किसान को खेत तैयार करने का समय नहीं मिल पाया है। अब मौसम शुष्क हुआ है। इससे किसान फसल बुवाई के लिए खेत खाली करने में जुटे हुए है।
बारिश की भी संभावना
भले ही मॉनसून की विदाई की ओर हो। लेकिन, मॉनसून का प्रभाव फिलहाल खत्म नहीं हुआ है। विदाई से पहले प्रदेश के कई जिलों में मॉनसून की बारिश होने की संभावना है। कई जिलों में बादलों की आवाजाही बनी हुई है। पिछले तीन दिन से प्रदेश के किसी भी जिले में बारिश के समाचार नहीं मिले है। पर, मौसम केंद्र जयपुर ने आज 10 जिलों में बारिश होने की संभावना बनी है। मौसम विभाग की ओर से जारी संभावित बारिश के बुलेटिन में पश्चिमी और उत्तरी क्षेत्र के जिलों में हल्की से मध्यम स्तर की बारिश होने की संभावना जताई गई है। इनमें जैसलमेर, जोधपुर, नागौर, अजमेर, बीकानेर, गंगानगर, हनुमानगढ़, चूरू, सीकर और झुंझुनूं में ग्रीन अलर्ट जारी किया गया है।