गुलाबी सुंडी के डर से किसानों ने कपास बुवाई में नहीं दिखाई दिलचस्पी (सभी तस्वीरें- हलधर)
श्रीगंगानगर-हनुमानगढ़ में सूत आधा
जयपुर। गुलाबी सुंडी का डर इस साल खेतों में देखने को मिल रहा है। कपास बुवाई को लेकर किसानों ने अपने हाथ पीछे खींच लिए है। इस कारण सूत के बुवाई क्षेत्र में बड़ी गिरावट इस बार प्रदेश में देखने को मिल सकती है। गौरतलब है कि श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिले को कपास उत्पादन और बुवाई क्षेत्रफल के आधार पर कपास का गढ़ कहा जाता है। लेकिन, इन दोनो ही जिलों में इस बार कपास बुवाई क्षेत्र में बड़ी गिरावट देखने को मिल रही है। कृषि विभाग के अधिकारियों की माने तो अब कपास बुवाई क्षेत्र में बढौत्तरी होने की गुजाइंश कम है। इस कारण बुवाई क्षेत्रफल पिछले साल की तुलना में कम रहने की संभावना है। उल्लेखनीय है कि हालत यह है कि श्रीगंगानगर, अनूपगढ़ और हनुमानगढ़ जिलों में पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष 2 लाख 73 हजार 165 हैक्टयर कम रकबा में कपास की बुवाई हुई है। श्रीगंगानगर खंड में एक लाख 47 हजार 375 हैक्टयर क्षेत्रफल में ही कपास की बुवाई हुई है। पिछले वर्ष इस खंड में 4 लाख 20 हजार 540 हैक्टयर क्षेत्रफल में कपास की बुवाई हुई थी। पिछले तीन वर्ष से श्रीगंगानगर खंड में मूंग- ग्वार का उत्पादन और गुणवत्ता ज्यादा ठीक नहीं रही। इस कारण किसानों का कपास की तरफ रुझान ठीक रहा। लेकिन, अब कपास की खेती में भी गुलाबी सुंड़ी के प्रकोप के चलते किसानों ने दिलचस्पी कम दिखाई है। गौरतलब है कि पिछले वर्ष गुलाबी सुंडी के प्रकोप से श्रीगंगानगर खंड में कपास की खेती 33 से 100 प्रतिशत तक बर्बाद हो गई थी। इसी डर के चलते किसानों ने इस बार कपास की खेती से एक तरह से तौबा कर ली।
नहरबंदी भी नहीं ली
जल संसाधन विभाग कपास की बुवाई के समय पिछले छह वर्ष से दो माह तक आइजीएनपी और भाखड़ा में नहरबंदी ले रहा था। इसका प्रभाव कपास की बुवाई पर पड़ रहा था। लेकिन, इस बार विभाग ने नहरबंदी भी नहीं ली। इसके बावजूद भी कपास की बुवाई नहीं हो पाई ।
श्रीगंगानगर जिले में बुवाई का गणित
कॉटन की बुवाई का लक्ष्य-1,97,500 हजार हैक्टयर
कुल कॉटन की बुवाई-93,115 हैक्टयर
गत वर्ष कॉटन की बुवाई-2,21,900 हैक्टयर
गत वर्ष की तुलना में बुवाई का अंतर-1,28,785 हैक्टयर
हनुमानगढ़ जिले में बुवाई का गणित
कॉटन की बुवाई का लक्ष्य-2,25,000 हजार हैक्टयर
कुल कॉटन की बुवाई-54,260 हैक्टयर
गत वर्ष जिले में कॉटन की बुवाई-1,98,640 हैक्टयर
गत वर्ष की तुलना में बुवाई का अंतर-1,35,280 हैक्टयर
20 मई तक बुवाई के डाटा के अनुसार इस बार खंड में करीब डेढ़ लाख हैक्टयर में ही कपास की बुवाई हुई है। पिछले वर्ष अमरीकन और बीटी कपास में गुलाबी सुंडी से काफी खराबा हुआ था। इस कारण इस बार किसान कपास की खेती से दूर हो गया है।
सतीश शर्मा,अतिरिक्त निदेशक (कृषि) विस्तार,श्रीगंगानगर खंड।
किन्नू में नुकसान का डर
45 से ऊपर पहुंचे पारे ने किन्नू के बागों को झुलसा दिया है। इससे किसानो को बड़ा नुकसान होने का अंदेशा है। बता दें कि श्रीगंगानगर जिले में 12 हजार 186 हैक्टयर क्षेत्रफल में बाग है। इनमें 11071 हैक्टयर में किन्नू के बाग है। इसके अलावा नींबू, माल्टा-मौसमी, अमरूद, अनार, आवंला, बेर, खजूर सहित बागवानी की हालत भी ज्यादा अच्छी नहीं है। सूत्रों का कहना है कि इस बार पौधों में अत्यधिक तापमान की वजह से फल भी कम आए हैं। इसके बाद ज्यादा तापमान की वजह से बागवानी को नुकसान हुआ। इस बार किन्नू सहित दूसरी बागवानी फसलों का उत्पादन कम रहेगा। अत्यधिक गर्मी से बागवानी के पौधे ही क्षेत्र में झूलस गए। बाग मुरझाए हुए हैं।
जायद में बढ सकता है कीट-रोग का प्रकोप
तेज गर्मी के चलते जायद मौसम की सब्जी फसलों में कीट-रोग का प्रकोप बढऩे की संभावना है। ऐसे में किसानों को सतर्क रहने और समय पर कीट-रोग की रोकथाम करने की सलाह कृषि वैज्ञानिकों ने दी है।
भिंडी की फसल में तुड़ाई के बाद 5-10 किग्रा प्रति एकड़ की दर से यूरिया डाले। साथ ही, माईट कीट की निरंतर निगरानी करते रहें। अधिक कीट पाये जाने पर ईथियाँन 1.5-2 मिली. प्रति लीटर पानी की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें। फसल में हल्की सिंचाई कम अंतराल पर करें। वहीं, नीबूवर्गीय पौधों में फल गिरने की समस्या के रोकथाम के लिए प्लनोफिक्स हार्मोन का एक मिली. प्रति 5 लीटर पानी का घोल बना कर छिड़़काव करें । बेलवाली फसलों में न्यूनतम नमी बनाएं रखें अन्यथा मृदा में कम नमी होने से परागण पर असर हो सकता है जिससे फसल उत्पादन में कमी आ सकती है।