किसान 20 दिसम्बर तक कर सकेंगे गेहूं की बुवाई

नई दिल्ली 12-Nov-2025 01:13 PM

किसान 20 दिसम्बर तक कर सकेंगे गेहूं की बुवाई

(सभी तस्वीरें- हलधर)

जयपुर। प्रदेश में गेहूं और जौ की बुवाई शुरू हो चुकी है। लक्ष्य से करीब 12 फीसदी गेहूं और 35 फीसदी जौ की बुवाई सम्पन्न हो चुकी है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की अधिक पैदावार और लागत में कमी के लिए बुवाई पूर्व ही कीट-रोग का नियंत्रण कर सकते है। इसके लिए किसानो को मृदा और बीज उपचार पर ध्यान देने की जरूरत है। एग्री क्लिनिक और मृदा परीक्षण प्रयोगशाला, बीकानेर के कृषि अनुसंधान अधिकारी (रसायन) आनंद कुमार हटीला ने बताया कि गेहूं की अधिक पैदावार लेने के लिए किसान वैज्ञानिक सस्य क्रियाएँ अपनाएं। साथ ही, बीज उपचार और संतुलित उर्वरक का प्रयोग करें।

20 दिसम्बर तक बुवाई

उन्होने बताया कि गेहूं की सामान्य समय पर बुवाई 25 नवम्बर तक करनी चाहिए। इसके लिए प्रति बीघा 25 किग्रा बीज की जरूरत होती है। जो किसान भाई किसी कारणवश समय पर बुवाई नहीं कर पाते है वो 20 दिसम्बर तक गेहूं की पछेती किस्मों का चयन कर बुवाई करें। देरी से बुवाई के लिए प्रति बीघा 30 किग्रा. बीज की जरूरत होगी। उन्होने बताया कि बुवाई के दौरान कतार से कतार की दूरी बुवाई 17.5 सेमी से 20 सेमी. रखे। बीज को 5 सेमी. से ज्यादा गहरा नहीं बोएं। 

ऐसे करें बीजोपचार

कृषि अनुसंधान अधिकारी (कीट) डॉ. अशोक कुमार सहु ने बताया कि दीमक नियंत्रण के लिए किसान 100 किलो बीज को 450 मिली क्लोरपायरीफ ॉस 20 ईसी अथवा 300 मिली. इमिडाक्लोप्रिड 17.8 एसएल को पांच लीटर पानी के घोल से उपचारित करें। विभिन्न रोगो से बचाव के लिए 2 ग्राम मैन्कोजेब प्रति किलो बीज और कण्डवा रोग नियंत्रण के लिए 2 ग्राम विटावेक्स अथवा कार्बेन्डेजिम प्रति किलो बीज के हिसाब से बीजोपचार करे। ईयर कोकल और टुण्डू रोग से बचाव हेतु बीज को 20 प्रतिशत नमक के घोल में डुबोकर नीचे बचे स्वस्थ बीज को अलग छांट कर साफ  पानी से धोयें और सुखाकर बुवाई के काम में लें। जैविक बीजोपचार के लिए 600 ग्राम पीएसबी और 600 ग्राम ऐजोटोबेक्टर कल्चर से प्रति 100 किलोग्राम बीज के लिए प्रयोग करें। 

 


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