4 से 15 बीघा तक पहुंचा सब्जी उत्पादन, सालाना आय 9 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)इन कार्यक्रमों में मिलने वाले ज्ञान को अपनी आर्थिकी के मुताबिक खेतों में उतारना शुरू किया। इससे ना केवल परम्परागत फसलों के उत्पादन में बढौत्तरी देखने को मिली। बल्कि, सब्जी उत्पादन, पशुपालन से भी आय मिलना शुरू हो गई। गौरतलब है कि किसान चेतनराम को खेती से सालाना 8-9 लाख रूपए की बचत मिल रही है। मोबाइल 80941-01341
ईशरोल, बाड़मेर। सब्जियों की खेती के सहारे सम्पन्नता की सीढ़ी चढ़ी जा सकती है। यह कहानी है रसातल समाते पानी के बीच हौसलेंमंद किसान चेतनराम पुनिया की। चेतनराम ने भूजल की बूंद-बूंद का सदुपयोग करके अपनी आमदनी बढ़ाने में सफलता पाई है। गौरतलब है कि पहले चेतनराम ट्रकचालक थे। बाद में खुद ट्रेक्टर खरीद लिया और लॉक डाउन के बाद खेती से जुड़े और गांव के होकर रह गए। अब खेती के आधुनिक तौर-तरीके अपनाते हुए 15 बीघा क्षेत्र में सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहे है। खेती से घर बैठे ही सालाना 8-9 लाख रूपए की आय मिल रही है। किसान चेतनराम ने हलधर टाइम्स को बताया कि संयुक्त परिवार है। इस कारण खेती का काम परिजन देखते थे। 8वीं तक पढने के बाद रोजगार की तलाश में गुजरात चला गया। वहां दशक तक ट्रक चलाया। इसके बाद जमा पूंजी से सवारी गाड़ी और ट्रेक्टर खरीद लिया। आस-पास गांव में ट्रेक्टर से खेती-किसानी का काम करने लगा। लॉक डाउन लगने तक सबकु छ सामान्य चल रहा था। लेकिन, लॉकडाउन लगने के बाद सवारी गाड़ी का काम ठप्प हो गया। इसके बाद खेती से जुड़ गया। उन्होंने बताया कि खेती से जुडऩे के बाद सिंचाई की समस्या सामने आई। इस स्थिति को देखते हुए ट्यूबवैल खुदवाया और परम्परागत फसलों का उत्पादन करने लगा। किसान प्रशिक्षण कार्यक्रमों के माध्यम से आधुनिक कृषि के बारे में जानने समझने का मौका मिला। इसके बाद मैने खेती के तौर-तरीकों में बदलाव लाना आरंभ किया। इसी का परिणाम है कि बूंद-बूंद से घट भरे जैसे प्रयासों से खेतों में एकीकृत फसल मॉडल की झलक नजर आने लगी है। बाद में आय बढौत्तरी के लिए सब्जी उत्पादन से जुड़ गया। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों में बाजरा, मोठ, ग्वार और जीरा फसल का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की बचत मिल जाती है। गौततलब है कि किसान चेतनराम के पास 35 बीघा जमीन है।
सब्जी फसलों से अच्छी आय
उन्होंने बताया कि तीन साल पहले सब्जी उत्पादन लेना शुरू किया। शुरूआत में 7 बीघा क्षेत्र में ककड़ी, काचर, ग्वार और भिंडी की फसल लगाई। इन फसलों से साढे चार लाख रूपए की बचत देखने को मिली। इसके बाद सब्जी फसलों का दायरा बढ़ा दिया। वर्तमान में 15 बीघा क्षेत्र में सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू। सब्जी फसलों में बैंगन, टमाटर, मिर्च, टिण्डी, पत्तागोभी सहित दूसरी सब्जी फसल शामिल है।
भेड-बकरीपालन भी लाभकारी
उन्होंने बताया कि आय बढौत्तरी के लिए भेड़-बकरीपालन से भी जुड़ा हुआ हॅॅू। वर्तमान में 50 बकरी और 10 भेड़ मेरे पास है। इनसे सालाना लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। उन्होने बताया कि भेड़-बकरीपालन मेें ज्यादा लागत नहीं आती। जबकि, मुनाफा अच्छा मिल जाता है।
दुग्ध से बनाते है घी
पशुधन में मेरे पास 8 गाय है। प्रतिदिन 25-30 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा हैं। संयुक्त परिवार होने के चलते दुग्ध का उपयोग घर में हो रहा है। शेष रहने वाले दुग्ध से घी तैयार कर लेता हूॅ। इससे पशुधन का खर्च निकल जाता है। वहीं, पशु अपशिष्ट से कम्पोस्ट खाद तैयार करके फसलों में उपयोग ले रहा हूूॅ।
स्टोरी इनपुट: डॉ. रावतराम, डॉ विनय मोहन खत्री, डॉ. राजेश शर्मा, पशुपालन विभाग, बाड़मेर