5 बीघा से आठ लाख, आईसक्रीम बेचने वाले का खेती में कमाल
(सभी तस्वीरें- हलधर)लेकिन, अब खेती से जुड़कर अपनी आय को तीन गुना तक बढ़ा चुके है। संरक्षित खेती से यह बदलाव आया है। शैडनेट हाउस में खीरे की सालाना तीन फसलों का उत्पादन करके देवीलाल 7-8 लाख रूपए की आमदनी ले रहा है। परम्परागत फसल और पशुधन से भी आमदनी मिल रही है। मोबाइल 8949310699
देवली, भीलवाड़ा। कहते हैं जज्बे के आगे बड़ी से बड़ी मुश्किल बौनी हो जाती है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है जिले के देवली गांव के किसान देवीलाल जाट ने। देवीलाल ने संरक्षित खेती को अपनाकर अपनी किस्मत के सितारे चमकाने का काम किया है। इससे कृषिगत आय में तीन गुना तक इजाफा देखने को मिला है। गौरतलब है कि खेती शुरू करने से पहले देवीलाल कपड़ा मिल और बाद में हिमाचल प्रदेश में आईसक्रहम बिक्री करके परिवार का भरण पोषण किया करते थे। किसान देवीलाल ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 5 बीघा जमीन है। इस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति शुरू से ही कमजोर रही है। मिडिल पास करने के बाद मैने पढ़ाई छोड़ दी। होश संभाला तो खुद को कपड़ा मिल में काम करते पाया। इसके बाद 2-3 साल हिमाचल प्रदेश में आईसक्रीम का व्यवसाय किया। गांव लौटकर ग्राम सेवा सहकारी समिति से जुड़ गया। दशक तक समिति का सहायक व्यवस्थापक रहा। इस दौरान खेती किसानी की नई-नई तकनीक को जानने समझने का मौका मिला। कृषि की आधुनिक तकनीक से प्रेरित होकर ही मैने परम्परागत खेती का ढर्रा बदलने का मन बनाया है। क्योंकि, परम्परागत फसलों से सालाना लाख से सवा लाख रूपए की आय मिलती थी। इस बात को ध्यान में रखते हुए कृषि विभाग में पॉली हाउस के लिए आवेदन किया। एक हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉली हाउस स्थापित करवाया। उन्होंने बताया कि संरक्षित खेती से जुडऩे के बाद साल दर साल सुधार देखने को मिल रहा है। परम्परागत फसल में गेहूं, मक्का , चना, सोयाबीन और तारामीरा फसल का उत्पादन लेता हूॅं। उन्होंने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि खेती पैतृक व्यवसाय रहा है। आधुनिक कृषि से मुझे अच्छा लाभ हो रहा हैं।
ऐसे बढ़ी आमदनी
शैडनेट हाउस से सालभर में खीरे की तीन फसल का उत्पादन लेता हॅू। एक फसल से खर्च निकालकर दो लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। इस तरह साल में 8 लाख रूपए की आय संरक्षित खेती से हो जाती है। वहीं, परम्परागत फसलों से भी डेढ़ से दो लाख रूपए मिलने लगी है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास ट्यूववैल है। पानी की बचत के लिए बूं-बूंद सिंचाई का उपयोग कर रहा हॅू। इसके अलावा लौकी, तुरई आदि फसलो का घरेलू उपयोग के लिए उत्पादन लेता हॅू। लेकिन, इस साल से इन फसलों का भी व्यसायिक उत्पादन लेने की तैयारी में हॅू।
उन्नत पशुपालन
पशुधन में एक गाय, एक भैंस और एक जोड़ी बैल है। प्रतिदिन उत्पादित दुग्ध में से 6 लीटर को 38-40 रूपए की दर से बिक्री कर देता हॅू। इससे पशुपालन का का खर्च निकल जाता है। वहीं, पशु अपशिष्ट से खाद तैयार करके उपयोग में ले रहा हॅू।