इरादों को जमीं: यूएस रिटर्न की खरबूजे से कमाई 31 लाख 

नई दिल्ली 13-Aug-2024 02:17 PM

इरादों को जमीं: यूएस रिटर्न की खरबूजे से कमाई 31 लाख  (सभी तस्वीरें- हलधर)

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बना खेतों का हार्डवर्कर
ना मेरे पास जमीन थी, ना खेती का कोई इरादा। यूएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की जॉब करता था। लेकिन, वर्ष 2014 में मन में उठे एक जुनून ने मुझे फिर गांव से जोड़ दिया। घर लौटकर 150 बीघा जमीन लीज पर लेकर परम्परागत के साथ-साथ अपने द्वारा तैयार कार्ययोजना पर आगे बढ़ता रहा। इस तरह मेरे इरादों को जमीन मिलती रही। यह कहना है हरीश गुप्ता का। उन्होंने बताया कि अभी सफर शुरू हुआ है, आगे-आगे देखिए होता है क्या-क्या। गौरतलब है कि गुप्ता खरबूज-तरबूज की खेती से प्रति बीघा लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे है। करीब 35 बीघा क्षेत्र में दोनों फसलों की खेती करते है। आय बढौत्तरी के लिए डेढ़ वर्ष पूर्व अंजीर और बेर का बगीचा स्थापित किया है। साथ ही, मचान विधि से लौकी की खेती के साथ-साथ स्वीटकॉर्न उत्पादन का भी श्री गणेश किया है। मोबाइल 95915-35353 
मोरपा, कोटा। दिखते नहीं जुगनू आसानी से...। लेकिन, आते है जब नजर अंधेरे दूर हो जाते है। जी हां, ऐसे ही किरदार है हरीश गुप्ता। जो पहले यूएस में सॉफ्टवेयर इंजीनियर थे। लेकिन, अब खेतों मेें खरबूजा उगा रहे है। साथ ही, परम्परागत खेती करने वाले किसानों को भी आकाश तक जाने का रास्ता सुझा रहे है। गौरतलब है कि नौकरी के दौरान इनका सालाना पैकेज लाखों मेें था। पर, यहां भी खेतों के हार्डवर्कर बनकर हरीश प्रति बीघा एक लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा कमा रहे है। मजेदार बात यह है कि खेती के लिए इनके पास स्वयं की बीघा भर जमीन नहीं है। लेकिन, वर्तमान मेें 150 बीघा जमीन में खेती कर रहे है। किसान हरीश गुप्ता ने हलधर टाइम्स को बताया कि खेती के बारे में कभी सोचा ही नहीं। पढ़ाई पूरी करने के बाद दिल्ली, नोएड़ा, बंगलुरू और यूएस में जॉब की। सालाना लाखों रूपए की आमदनी मिलती थी। फिर, वर्ष 2014 में खेती का ऐसा जुनून सवार हुआ कि यूएस छोड़कर गांव लौट आया। कुछ नया करने के  लिए प्रोजेक्ट तैयार किया। इरादों को जमीन देने के लिए सिंचित जमीन तलाशते हुए 150 बीघा जमीन लीज ली। उसके बाद परम्परागत फसलों के साथ-साथ बागवानी फसलों का रूख किया। इसी का परिणाम है कि खेतों से लाख रूपए प्रति बीघा का मुनाफा मिल रहा है। उन्होंने बताया कि रबी में खरबूज और तरबूज की खेती ही करता हॅू। खरबूजे से अच्छी आमदनी मिलती है। गौरतलब है कि हरीश 31 बीघा क्षेत्र में खरबूज की बुवाई करते है। वहीं, 4 बीघा क्षेत्र में तरबूज की। उन्होने बताया कि खरबूज की फसल में सारा खर्च निकालने के बाद लाख रूपए बीघा की शुद्ध बचत मिल जाती है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए नहरी और बोरवैल का पानी उपलब्ध है। जलबचत के लिए ड्रिप का उपयोग कर रहा हॅू। परम्परागत फसलों मेें धान और सोयाबीन की उपज ले रहा हॅू। 
अंजीर-बेर का बगीचा
उन्होंने बताया कि खरबूज-तरबूज की खेती में सफलता मिलने के बाद बगीचा स्थापना पर फोकस किया। डेढ़ साल पहले अंजीर और बेर का बगीचा स्थापित किया है। अंजीर का बगीचा एक बीघा और बेर का बगीचा 10 बीघा क्षेत्र में लगाया है। बेर से आगामी सीजन में थोड़ी बहुत आय मिलने की उम्मीद है। 
मचान पर लौकी, मीठी मक्का
उन्होंने बताया कि सब्जी फ सलों पर भी परीक्षण शुरू हो चुका है। चालू बरसात के सीजन में मचान विधि से दो एकड़ क्षेत्र में लौकी की फसल लगाई है। वहीं, दो बीघा क्षेत्र में स्वीटकॉर्न लगाई हुई है। इन दोनों से आय का गणित अभी निकालना मुश्किल है। क्योंकि, दोनों ही उत्पादों की बिक्री जारी है। 
स्टोरी इनपुट: एनबी मालव, उपनिदेशक, उद्यान, कोटा


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