टमाटर-गेंदे से अजय बढ़त, सालाना बचत 32 लाख- खेती में भविष्य बनाने वाले किसान

नई दिल्ली 06-Aug-2024 01:47 PM

टमाटर-गेंदे से अजय बढ़त, सालाना बचत 32 लाख- खेती में भविष्य बनाने वाले किसान (सभी तस्वीरें- हलधर)

कृषि से स्नातक डिग्री लेने के बाद खेती में भविष्य बनाने वाले किसान है अजय रखेला। अजय ने वर्ष 2019 में पढ़ाई छोडऩे के बाद कुछ समय के लिए कृषि प्रतियोगिताओं की तैयारी की। लेकिन, हर बार दो-चार नम्बर से रह गए। इसके चलते खेती से जुड़े। इसमें शत प्रतिशत सफल रहे। अजय का कहना है कि खेती में अब नौकरी से ज्यादा क मा रहा हॅू। हालांकि, प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी मैने छोड़ी नहीं है। उन्होंने बताया कि पहले खेतों से सालाना दो से ढाई लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। लेकिन, अब सालाना 30-23 लाख रूपए की आमदनी टमाटर और गेंदा की फसल से मिल रही है। उन्होने बताया कि इन दोनों फसलों से परम्परागत फसलों का एरिया भी अपने नाम कर लिया है। इसके अलावा 10 हजार मासिक की बचत दुग्ध उत्पादन से मिल रही है। मोबाइल 94143-50079

खोरी, जयपुर। ... मेरी मंजिल तो आसमान हैं, रास्ता मुझे खुद बनाना हैं। ऐसे ही हौंसले से लबरेज है किसान अजय रखेला। अजय, आधुनिक तकनीक के साथ गेंदा और टमाटर की खेती के लिए पहचाने जाते है। सालाना 30-32 लाख रूपए की आमदनी इन फसलों के साथ-साथ पशुपालन से प्राप्त कर रहे है। गौरतलब है कि अजय कृषि से स्नातक है। किसान अजय ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 15 बीघा कृषि भूमि है। पिताजी के खेती संभालने तक मैं पढ़ाई से जुड़ा रहा। कृषि से स्नातक करने के बाद सरकारी नौकरी के लिए प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करने लगा। लेकिन, हर बार किस्मत दगा दे गई। इसके चलते खेती से जुड़ गया। फिर, खेती से आय बढाने की कार्ययोजना तैयार करके टमाटर और गेंदें की खेती का बुवाई क्षेत्र बढ़ा दिया। इससे आय का ग्राफ भी बढा। उन्होंने बताया पहले टमाटर की फसल के बीच पिताजी गेंदे के पौधें लगाते थे। इसी को मैने स्वतंत्र फसल का रूप दिया। उन्होंने बताया कि एक बीघा जमीन में गेंदा की खेती से तीन लाख रूपए का मुनाफा मिला। आय के इस आंकडे ने मेरा हौंसला बढाने का काम किया। इसके बाद धीरे-धीरे गेंदा फसल का बुवाई क्षेत्र बढाना शुरू कर दियाञ। वर्तमान में 7 बीघा क्षेत्र में गेंदा की बुवाई करता हॅू। बेहत्तर उत्पादन के लिए ड्रिप और मल्चिंग का उपयोग कर रहा हॅू। इससे सालाना 18-20 लाख रूपए की बचत देखने को मिल रही है। उन्होंने बताया कि गेंदा फसल से होने वाली आमदनी को देखते हुए परम्परागत फसलों का दायरा घरेलू आवश्यकता पूर्ति तक सीमित कर दिया है। उन्होने बताया कि परम्परागत फसलों में बाजरा और गेहूं का उत्पादन लेता हॅॅू। इससे दाना और पशुओं के लिए चारा मिल जाता है। सिंचाई के लिए मेरे पास नलकूप है। 
5 बीघा में टमाटर
उन्होंने बताया कि गेंदे की तरह टमाटर की फसल भी मेरे लिए लाभकारी है। इसकी खेती भी गेंदे के जैसे ही शुरू की थी। वर्तमान में 5 बीघा क्षेत्र में टमाटर का उत्पादन ले रहा हॅू। इससे सालाना 10-15 लाख रूपए के मध्य बचत मिल जाती है। 
नींबू-आंवला का बगीचा
उन्होंने बताया कि कृषि ज्ञान का उपयोग करते हुए ढ़ाई बीघा जमीन मेें नींबू और आंवला का बगीचा स्थापित किया है। अभी पौधें दो साल के हुए है। आगामी दो साल बाद आय का आंकडा और बढने का अनुमान है। 
उन्नत पशुपालन
उन्होंने बताया की पशुधन में मेरे पास 2 भैंस और 2 गाय है। प्रतिदिन 10 लीटर दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। इसमें से एक समय का दुग्ध डेयरी में विपणन कर देता हॅू। इस तरह पशुधन से भी प्रतिमाह 10 हजार रूपए प्रतिमाह की शुद्ध आमदनी हो जाती है।
स्टोरी इनपुट: डॉ. सुरेन्द्र हरितवाल,  वरि. कृषि पर्यवेक्षक, नींदड़, जयपुर


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सफलता की यह कहानी है रेखा देवी मिश्रा की। जिन्होंने झोपड़ी में रहते हुए अपने गांव की महिलाओं को आर्थिक रूप से सशक्त बनाने में महत्ती भूमिका निभाई। वहीं, खेती, पशुपालन में भी अपनी अलग पहचान बनाई है। पशु सखी के रूप में राज्य सरकार ने इनको उत्कृष्ट सेवा पुरस्कार से सम्मानित किया है। रेखा देवी का कहना है कि लखनऊ से 10 दिवसीय प्रशिक्षण के बाद जीवन को नई दिशा मिली। इसी का परिणाम है कि खेती और पशुपालन के बिना अब दिन गुजरता नहीं है। यूँ समझों, पशुपालन से जुडऩे के बाद मुझे उड़ान के लिए नये पंख मिल गए है। गौरतलब है कि रेखा पशुओं के वैक्सीनेशन से लेकर पशु उपचार से जुड़ी कई हर्बल दवाएं स्वयं तैयार करती है। उन्होने बताया कि खेती सम्बद्ध कार्यो से सालाना 5-7 लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। मोबाइल 77338-47325


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