नवाचारी किसान (सभी तस्वीरें- हलधर)
आमदनी का रण जीतना किसान के लिए आसान नहीं होता। लेकिन, वैज्ञानिक तौर-तरीकों से खेती की जाएं तो सफलता भी निश्चित है। ऐसा ही कुछ कर दिखाया है किसान रणवीर सिंह ने। जिन्होंने आमदनी बढ़ाने के लिए कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन में अनार की बागवानी की ओर कदम बढ़ाएं। इसमें सफल रहे तो खेतों में हाईटेक खेती को भी जगह देते समय नहीं लगाया। किसान रणवीर ने बताया कि अनार और खीरे के उत्पादन से जुडऩे के बाद आमदनी में करीब 4 लाख रूपए का शुरूआती इजाफा दर्ज हुआ है। जबकि, पहले 18 बीघा जोत से सालाना डेढ़ से दो लाख रूपए की बचत देखने को मिलती थी। मोबाइल 8107464822
जीता आर्थिकी का रण, खेत भगवा से हाईटेक, 4 लाख तक बढ़ी कमाई
गुदावली, भरतपुर। नींबू और आम बगीचों के साथ-साथ अचार उद्योग के लिए मशहूर भरतपुर जिले के किसानों पर भी अब सिंदूरी का रंग चढऩे लगा है। आय बढौत्तरी के लिए किसान अनार की खेती से जुडऩे लगे है। ऐसे ही किसान है रणवीर सिंह। जिन्होंने अनार की खेती में सफलता प्राप्त करने के बाद हाईटेक खेती की ओर कदम बढ़ाया है। इससे आय का आंकड़े में करीब 4 लाख रूपए का इजाफा हुआ है। गौरतलब है कि किसान रणवीर को परम्परागत खेती से सालाना डेढ़ लाख रूपए की बचत मिलती थी। किसान रणवीर ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 18 बीघा जमीन है। 12वीं पास करने के बाद से खेती कर रहा हॅू। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले तक खेतों में नवाचार के नाम पर कुछ नहीं था। परम्परागत फसलों का उत्पादन लेता था। इन फसलों से जो भी आमदनी मिलती, उसी से परिवार का गुजारा चलता था। शुरू से यही क्रम चलता आ रहा था। लेकिन, अब खेतों में परम्परागत फसलों के साथ-साथ अनार और खीरा की फसल ने अपनी जगह बनाई है। इससे पहले ही साल में आमदनी के आंकडे में करीब 4 लाख रूपए का इजाफा हुआ है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास ट्यूबवैल है। परम्परागत फसल में गेहूं, सरसों, बाजरा और मैथी का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना डेढ़ से दो लाख रूपए की बचत मिल जाती है।
5 बीघा में अनार
उन्होंने बताया कि गांव के कृषि अधिकारियों के प्रोत्साहन से खेतों में नवाचार अपनाना शुरू किया। पहले 5 बीघा क्षेत्र में अनार का बगीचा स्थापित किया। उन्होंने बताया कि क्षेत्र के अधिकांश किसान अचार के काम आने वाले फलों के उत्पादन तक सीमित है। इस स्थिति को देखते हुए मैने अनार का चयन किया। उन्होंने बताया कि अनार की पहली फसल से डेढ़ लाख रूपए की बचत मिली है। अनार का विपणन स्थानीय मंड़ी में कर रहा हॅू।
संरक्षित खेती से भी आय उन्होंने बताया कि अनार की खेती में सफल होने के बाद थोड़ा हौंसला बढ़ा। इसके बाद कृषि अधिकारियों के मार्गदर्शन से ही संरक्षित खेती की ओर कदम बढ़ाएं। उन्होंने बताया कि सरकारी अनुदान योजना का लाभ उठाते हुए दो हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में पॉली हाउस स्थापित किया है। इसमें खीरे की पहली फसल से इन दिनों उत्पादन मिल रहा है। इस फसल से तीन लाख रूपए से अधिक आय मिलने की उम्मीद है। बाजार भाव अच्छे मिल रहे है।
किचन गार्डन में सब्जी
उन्होने बताया कि घर की सब्जी आपूर्ति के लिए थोड़ी सी जमीन में मिर्च, टमाटर, बैंगन, मूली, सहित हरी सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू। इससे भी बचत हो रही है।
पशु अपशिष्ट से केंचुआ खाद
पशुपालन में 1 गाय, 1 भैंस मेरे पास है। प्रतिदिन 7-8 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिलता है। दुग्ध का उपयोग घर में हो जाता है। वहीं, पशु अपशिष्ट से वर्मी कम्पोस्ट खाद तैयार कर रहा हॅू। वर्मी कम्पोस्ट की एक बेड़ मेरे पास है।
स्टोरी इनपुट: तेजवीर सिनसिनवार, कृषि पर्यवेक्षक, गुदावली, भरतपुर