पौंड के पानी से जमीन गुलजार , बचत सालाना 30 लाख (सभी तस्वीरें- हलधर)
पौंड के पानी से जमीन गुलजार , बचत सालाना 30 लाख
बिन पानी सब सून....। लेकिन, बुलंद हौसलों से ऐसे हालात को बदला भी जा सकता है। बारिश के पानी से खेती को गुलजार के साथ-साथ रसदार भी बनाया जा सकता है। यकीन नहीं है तो किसान प्रेमनाथ से मिलवाते है। प्रेमनाथ ने डिग्गी के पानी से खेती को संवारने का काम किया है। उन्होंने बताया कि डिग्गी निर्माण के साथ ही खजूर, बेर, नींबू और अनार का बगीचा स्थापित कर दिया। इससे सालाना लाखों रूपए की बचत मिल रही है। जबकि, पहले बरसाती फसल का उत्पादन मिल पाता था। गौरतलब है कि किसान प्रेमनाथ ने वर्ष 2009-10 में खेती का ढर्रा बदलने के प्रयास शुरू किए थे। अब खेतों में बरसाती पानी से बागवानी फसल लहलहा रही है। सालाना 25-30 लाख रूपए की आमदनी इन फसलों से मिल रही है। मोबाइल 99281-55896
रामपुरा, जोधपुर। मेहनत और हौंसले से सूखी जमीन भी गुलजार हो जाती है। डिग्गी के पानी से जमीन को रसभरी बनाने का ऐसा ही प्रयास किया है किसान प्रेमनाथ ने। इससे सूखी जमीन से अब लाखों रूपए की आय मिलने लगी है। गौरतलब है कि किसान प्रेमनाथ खजूर, नींबू, अनार, बेर की खेती से जुड़ा हुआ है। इससे सालाना 25-30 लाख रूपए की बचत मिल रही है। किसान प्रेमनाथ ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 90 बीघा जमीन है। 10वीं पास करने के बाद से खेती कर रहा हॅू। उन्होंने बताया कि वर्ष 2012 तक खेती से ज्यादा कुछ नहीं मिलता था। लेकिन, अब बरसाती पानी के सहारे खेत में बागवानी फसलों से अच्छा उत्पादन मिल रहा है। जमीन रेतीली और पानी की कमी थी। इस कारण बरसात में बाजरी, ग्वार, मोठ की बुवाई कर देते थे। जो भी मिलता उससे परिवार का गुजारा चलता रहा। उन्होने बताया कि वर्ष 2009-10 में कृषि विभाग के अधिकारियों से सम्पर्क हुआ। उनके मार्गदर्शन में फार्मपौंड का निर्माण करवाया। साथ ही, बगीचा भी स्थापित कर दिया। वर्ष 2012 के बाद बागवानी फसलों से शुरूआती आमदनी मिलने लगी। उन्होंने बताया कि अब हर साल उत्पादन के साथ-साथ आमदनी का आंकड़ा भी बढ़ता जा रहा है। लेकिन, श्रमिकों की समस्या और बाजार के ठीक नहीं रहने से कभी आमदनी कम भी होती है। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों के उत्पादन से सालाना 4-5 लाख रूपए की आमनी हो जाती है। सिंचाई की कमी के चलते रबी फसलों का उत्पादन नहीं लेता हॅू।
डिग्गी से फली-फूली बागवानी
उन्होंने बताया कि डिग्गी निर्माण के साथ ही साढ़े 5 हैक्टयर क्षेत्र में खजूर का बगीचा स्थापित किया। खजूर के 624 पौधें मेरे पास है। वहीं, 4 हैक्टयर क्षेत्र में बेर के पौधें लगाएं हुए है। बेर के 400 से ज्यादा पौधों से उत्पादन मिल रहा है। इसी तरह 4 हैक्टयर क्षेत्र में बारहमासी नींबू का बगीचा स्थापित किया हुआ है। नीबंू के भी 624 पौधे है। वही, 1500 पौधेें अनार के लगाए हुए है। बगीचे में सिंचाई के लिए बूंद-बूंद सिंचाई का उपयोग कर रहा हॅूँ।
ऐसे समझे आय का गणित
उन्होंने बताया कि खजूर की खेती से सालाना 5-6 लाख रूपए की बचत मिल जाती है। वहीं, 4-5 लाख रूपए की आमदनी बेर की बागवानी से हो जाती है। इसी तरह 5-6 लाख रूपए की बचत नींबू के बगीचे से मिल जाती है। जबकि, अनार के पौधों से सालाना 4-5 लाख रूपए की आमदनी हो जाती है।
गौपालन से भी आय
उन्होंने बताया कि देसी नस्ल की गायों का पालन कर रहा हॅू। आधा दर्जन से ज्यादा गाय मेरे पास है। प्रतिदिन 25-30 लीटर दुग्ध का उत्पादन होता है। इसमें से शेष रहने वाले दुग्ध से घी तैयार करता हॅू। घी से होने वाली आमदनी से पशुधन का खर्च निकल जाता है। वहीं, पौधों को देसी खाद मिल जाती है।
स्टोरी इनपुट : रफीक अहमद कुरैशी, सहायक कृषि अधिकारी, उद्यान, भोपालगढ़, जोधपुर