दुबई रिटर्न ने सब्जी से हरे किए धोरे, सालाना कमाई 12 लाख

नई दिल्ली 09-May-2024 06:25 PM

दुबई रिटर्न ने सब्जी से हरे किए धोरे, सालाना कमाई 12 लाख (सभी तस्वीरें- हलधर)

हुडेरा, चुरू। पहले खेतों की आय से परिवार का खर्च भी नहीं निकलता था। रोजी-रोटी की तलाश ने दुबई पहुंचा दिया। क रीब आठ साल काम किया। उसके बाद गांव लौटा और जमा पूंजी से रेतीले धोरों को हरा-भरा बनाना शुरू कर दिया। डेढ़, दशक पहले शुरू हुए सब्जी उत्पादन के सफरनामे ने अब मुझे आर्थिक रूप से समृद्ध बना दिया है। यह कहना है किसान औंकारमल मेघवाल का। जो सब्जी उत्पादन के साथ-साथ परम्परागत फसलों से भी अपनी आमदनी बढ़ाने के लिए खेतों में दिन-रात एक कर रहे है। किसान औंकार का कहना है कि सब्जी फसलों से प्रति बीघा सवा लाख रूपए की बचत मिल जाती है। जबकि, खेती से सकल आय का आंकड़ा 10-12 लाख के करीब है। किसान औकारमल ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 18 बीघा जमीन है। 10वीं में मिली असफलता ने मुझे निराश कर दिया। पढ़ाई छोड़कर काम धंधे की तलाश करने लगा। लेकिन, यहां मजदूरी कम मिलती थी। पता चला की खाड़ी देशों में मजदूरी का अ'छा पैसा देते है। क्षेत्र के युवाओं के साथ मैं भी रोजी-रोटी की तलाश में दुबई चला गया। यहां आठ साल काम किया। इसके बाद गांव लौट आया और खेती करने लगा। उन्होने बताया कि जमीन पर ट्यूबवैल खुदवाएं तो ढ़ाई दशक हो चुके है। लेकिन, पहले परम्परागत फसलों का भी अपेक्षित उत्पादन नहीं मिलता था। इस कारण परिवार की आर्थिक स्थिति Óयादा अ'छी नहीं थी। उन्होने बताया कि दुबई की बचत को खेतों में निवेश किया। उपज बढ़ाने के लिए देसी खाद खेतों में बिखेरी। साथ ही, सब्जी फसलों में भाग्य आजमाना शुरू किया। परिणाम रहा कि अब खेतों से भरपूर पैदावार मिल रही है। उन्होने बताया कि पहले खेतों में प्रति बीघा &-4 क्विंटल गेहंू का उत्पादन मिलता था। अब वह बढ़कर 17-18 क्ंिवटल तक जा पहुंचा है। उन्होने बताया कि आधा बीघा क्षेत्र में 5 क्विंटल कपास का उत्पादन हो रहा है। कमोबेश उत्पादन बढ़ौत्तरी की यह स्थिति बाजरा, ग्वार, जौ के साथ भी है। उन्होने बताया कि परम्परागत फ सलों के उत्पादन से सालाना 5-6 लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। 


सब्जी से प्रति बीघा सवा लाख
उन्होने बताया कि सब्जी फसलों का उत्पादन लेते हुए डेढ़ दशक हो चला है। जायद के मौसम में लोया, ककड़ी, तरबूज का उत्पादन लेता हॅू। वहीं, बरसात में भिंड़ी, ग्वार, मिर्च, प्याज आदि फसलों का उत्पादन लेता हॅू। घरेलू आवश्यकता पूर्ति के लिए आलू का उत्पादन भी कर रहा हॅू। उन्होने बताया कि 5 बीघा क्षेत्र में सब्जी फसलों का आधुनिक तौर-तरीकों से उत्पादन ले रहा हॅू। इन फसलों से प्रति बीघा सवा लाख रूपए की औसत बचत मिल जाती है। भाव तेज रहने की स्थिति में आमदनी का आंकड़ा थोड़ा और बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए ड्रिप और नमी संरक्षण के लिए मल्चिंग का उपयोग ले रहा हॅू। 


उन्नत पशुपालन
पशुधन में मेरे पास 2 भैंस, दो गाय है। उत्पादित दुग्ध में से 15 लीटर का विपणन डेयरी को कर देता हॅू। गाय का दुग्ध &5 और भैंस का दुग्ध 50 रूपए प्रति लीटर की दर से बिक्री हो जाता है। इससे पशुधन का खर्च निकलने के साथ-साथ 10-12 हजार रूपए मासिक का शुद्ध लाभ मिल जाता है। सब्जियों का वेस्ट पशु चारे के रूप मेें काम आ जाता है। वहीं, गोबर से कम्पोस्ट खाद तैयार करके खेतों में उपयोग कर रहा हॅू। 


स्टोरी इनपुट: डॉ. हरिश रछोया, केवीके, सरदारशहर, चुरू
 


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