मेहनत, तकनीक और इनोवेटिव सोच के साथ-साथ बागवानी का अक्श खेतों में उकेर दिया जाएं

नई दिल्ली 15-Apr-2024 05:44 PM

मेहनत, तकनीक और इनोवेटिव सोच के साथ-साथ बागवानी का अक्श खेतों में उकेर दिया जाएं (सभी तस्वीरें- हलधर)

मेहनत, तकनीक और इनोवेटिव सोच के साथ-साथ बागवानी का अक्श खेतों में उकेर दिया जाएं तो निश्चित आय की गारंटी मिल जाती है। यह कहना है किसान सुरेन्द्र सिंह सोलंकी का। जो खेती से सालाना 22-25 लाख रूपए का मुनाफा कमा रहे है। खेती के काम आने वाली सभी आधुनिक मशीनरी इनके पास है। वहीं, 20 बीघा क्षेत्र में अमरूद और मौसम्बी की बागवानी कर रहे है। साथ ही, लहसुन और प्याज की फसल से भी बेहत्तर आमदनी प्राप्त कर रहे है। किसान सुरेन्द्र का कहना है कि परम्परागत फसल की अपेक्षा बागवानी फसलों से जुड़कर किसान अपनी आय को बढा सकते है। क्योंकि, 4-5 साल के बाद इन फसलों से आय का आंकड़ा हर साल बढ़ता रहता है। मोबाइल 97846-11012

परम्परागत नहीं, बागवानी में गांरटी आय  
किसान सुरेन्द्र खेती से कमा रहे है सालाना 25 लाख का मुनाफा
मारवाड़ चौकी, कोटा। चुनावी मौसम में गारंटी पर ज्यादा जोर है। लेकिन, खेती में निश्चित आय की गारंटी का वादा इतना आसान नहीं है। क्योंकि, खेतों में फसल को वादों की नहीं, मेहनत, तकनीक और इनोवेटिव सोच की जरूरत होती है। आइए आपसे रूबरू कराते है किसान सुरेन्द्र सिंह सोलंकी से। इनका कहना है कि खेती में बागवानी फसल ही निश्चित आय की गांरटी देती है। परम्परागत फसल में बचता ही क्या है? गौरतलब है कि किसान सुरेन्द्र 20 बीघा क्षेत्र में बागवानी फसलों का उत्पादन ले रहे है। साथ ही, खेती से सालाना 20-25 लाख रूपए की आमदनी प्राप्त कर रहे है। किसान सुरेन्द्र ने हलधर टाइम्स को बताया कि वर्ष 1995 में स्नातक करने के बाद कृषि सम्बद्ध व्यवसाय शुरू किया। इस व्यवसाय में सफलता मिलने के बाद खेती की दशो-दिशा बदलने का काम किया। इसी का परिणाम है कि खेत समन्वित कृषि की कहानी बयां कर रहे है। उन्होने बताया कि पहले परम्परागत फसलों का ही उत्पादन तक सीमित रहा। लेकिन, इन फसलों में ज्यादा बचत देखने को नहीं मिली। इसी के चलते दो दशक पूर्व बागवानी फसलों का रूख किया। इन फसलों ने मुझे निश्चित और बढ़ी हुई आय की गांरटी दी है। गौरतलब है कि किसान सुरेन्द्र के पास 40 एकड़ कृषि भूमि है। सिंचाई के लिए ट्यूबवैल है। उन्होने बताया कि खेती से लाभ कमाने के लिए समय-समय पर आए बदलाव को आत्मसात करते हुए आगे बढ़ता रहा। यही कारण है कि खेतों से अब लाखों में आमदनी प्राप्त हो रही है। उन्होने बताया कि परम्परागत फसल में धान, सोयाबीन, गेहूं, चना और धनिया का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना 5-6 लाख रूपए की आमदनी हो जाती है। गौरतलब है कि किसान सुरेन्द्र के पास खेती के काम आने वाली सभी आधुनिक मशीनरी भी है। 

20 बीघा अमरूद के नाम
उन्होंने बताया कि 20 बीघा क्षेत्र में अमरूद की बागवानी कर रहा हॅू। अमरूद के बगीचे में 300 पौधें 14 साल पुराने है। वहीं, एक हजार पौधें 5 साल और ताइवान पिंक किस्म के 450 पौधें तीन साल पुराने है। इसके अलावा 300 पौधें मौसम्बी के लगाएं हुए है। यह भी सात साल के हो चुके है। उन्होने बताया कि यह सभी फसल ऐसी है, जिसमें जोखिम कम और आमदनी ज्यादा है। वैज्ञानिक तौर-तरीके से देखरेख करके इन फसलों से गारंटीशुदा आमदनी प्राप्त की जा सकती है। उन्होने बताया कि बागवानी फसलों से प्रति एकड़ लाख से सवा लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। 

प्याज-लहसुन भी लाभकारी
उन्होंने बताया कि प्याज-लहसुन की खेती भी लाभकारी साबित हो रही है। इस साल 6 एकड़ क्षेत्र मेंं लहसुन और साढे तीन एकड़ क्षेत्र में प्याज की बुवाई की है। दोनों ही फसलों के बाजार भाव इन दिनों तेज बने हुए है। इन फसलों से सालाना 8-10 लाख रूपए की सालाना आय मिल जाती है। भाव ज्यादा होने की स्थिति में बचत का आंकड़ा 12-15 लाख रूपए तक पहुंच जाता है। 

उन्नत पशुपालन
पशुधन में मेरे पास 5 गाय और 2 भैंस है। प्रतिदिन 18-20 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा है। इसमें से एक समय का दुग्ध डेयरी को बिक्री कर देता हॅू। इससे पशुधन का खर्च निकल जाता है। वहीं, 8-10 हजार रूपए महीने की बचत मिल जाती है। उन्होंने बताया कि पशु अपशिष्ट का उपयोग वर्मी खाद बनाने में कर रहा हॅू। 


स्टोरी इनपुट: डॉ. अवधेश मिश्रा, एनएचआरड़ीएफ, कोटा