ट्रक ड्राइवर बना सब्जी उत्पादक
(सभी तस्वीरें- हलधर)सब्जी फसलों के उत्पादन में सफलता मिलेगी अथवा नहीं, इस बात को मैने पहले खेतों में परख कर देखा है। इसके बाद 5 बीघा क्षेत्र में सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू। गौरतलब है कि किसान ताजाराम परम्परागत फसलों के उत्पादन से सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की बचत ले रहे है। उनका कहना है कि सब्जी फसलों के उत्पादन से आय का यह आंकड़ा साढे चार लाख रूपए के करीब पहुंचने की उम्मीद है। मोबाइल 99506-56507
ईशरोल, बाड़मेर। ... दूर कहां है मंजिल, जब पंख हौंसले के लगे हो। परम्परागत खेती के साथ रेतीले धोरों में सब्जी फसलों का दायरा बढाने वाले ऐसे ही किसान है ताजाराम कड़वासरा। जो अब सब्जी फसलों से अपनी आमदनी बढाने के प्रयास में जुटे हुए है। उनका कहना है कि खेती से सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी मिल रही है। सब्जी फसलों के उत्पादन से आमदनी का आंकडा लाख से सवा लाख रूपए तक बढऩे का अनुमान है। किसान ताजाराम ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 18 बीघ कृषि भूमि है। उन्होंने बताया कि परिवारजनों के खेती की जिम्मेदारी संभालने तक मैने ड्राइवरी की। 5-6 साल तक ट्रक चलाया। इसके बाद खेती से जुड़ गया। उन्होने बताया कि खेती संभालने के बाद परम्परागत फसलों से होने वाली आय का गणित मुझे पता चला। इसके बाद क्षेत्र के दूसरे किसानों को देखते हुए कृषिगत आय बढाने के प्रयास में जुटा हुआ हॅू। कुछ ऐसे ही प्रयासों ने मुझे सब्जी उत्पादन से जोड़ दिया है। पहले परम्परागत सब्जी फसलों का परीक्षण करके देखा। उत्पादन अच्छा मिला तो इस साल दायरा बढ़ा दिया। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास कुआं है। परम्परागत फसलों में जीरा, अरंड़ी और बाजरे का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी मिल रही है।
5 बीघा में सब्जी फसल
उन्होंने बताया कि आय बढाने के लिए वर्तमान में 5 बीघा क्षेत्र में सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू। इनमें ज्यादा रकबा मिर्च की फसल का है। क्योंकि, इसके बाजार भाव अच्छे मिलते है। उन्होंने बताया कि चार बीघा क्षेत्र में मिर्च की बुवाई की है। वहीं, एक बीघा क्षेत्र में प्याज की फसल बोई है। इसके अलावा थोड़े क्षेत्र में बैंगन और टमाटर की फसल लगाई है। उन्होने बताया कि इन फसलों से सकल आमदनी का आंकडे में लाख से सवा लाख रूपए का इजाफा होने की उम्मीद है।
लाभकारी पशुपालन
उन्होंने बताया कि पशुधन में मेरे पास 1 भैंस और 1 गाय और आधा दर्जन बकरियां है। प्रतिदिन 6-7 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिलता है। परिवार में सदस्यों की संख्या ज्यादा होने के कारण ज्यादा मात्रा में दुग्ध का विपणन नहीं करता हॅू। शेष रहने वाले दुग्ध से घी तैयार कर रहा हॅू। इससे पशुधन का खर्च निकल जाता है।
स्टोरी इनपुट: डा. रावता राम भाखर, कैलाश कुमार, राजकीय पशु चिकित्सालय, इशरोल, बाड़मेर