प्याज-लहसुन से आय दोगुना -नवाचार से अपनी आय को किया दोगुना

नई दिल्ली 06-Aug-2024 01:56 PM

प्याज-लहसुन से आय दोगुना -नवाचार से अपनी आय को किया दोगुना (सभी तस्वीरें- हलधर)

किसान पवन कुमार पाटीदार आय बढ़ाने के लिए खेत में फसली नवाचार कर रहे है। नवाचार का परिणाम है कि अपनी आय को दोगुना कर चुके है। किसान पवन ने बताया कि आमदनी का आंकड़ा बढ़ाने में  प्याज-लहसुन की खेती का महत्वपूर्ण योगदान रहा है। पहले परम्परागत फसलो से सालाना 3 लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। इस कारण संतरे की खेती में भाग्य आजमाया। लेकिन, फलन की समस्या के चलते बगीचे को नष्ट करना पड़ा। फिर, प्याज-लहसुन की खेती से जुड़ा। अब इन दोनों फसलों से सालाना तीन से साढे तीन लाख रूपए की बचत मिल जाती है। मोबाइल 63788-30257

डाबलीकलां, झालावाड़। अंधेरों में उजालों की ओर बढऩे का नाम ही जिंदगी है। क्योंकि, दिन के उजालों में जुगनू अपनी पहचान नहीं बना पाते है। अपना हुनर जमाने को दिखाने के लिए उन्हें भी रात का इंतजार करना होता है। खेती के ऐसे ही जुगनू बनकर उभरे है किसान पवन कुमार पाटीदार। जिन्होंने लहसुन-प्याज का उत्पादन लेकर अपनी आय का आंकड़ा सालाना 7 लाख रूपए तक पहुंचा दिया है। जबकि, पहले ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। किसान पवन कुमार ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 13 बीघा कृषि भूमि है। 10वीं पास करने के बाद मैँ भी खेती से जुड़ गया। परम्परागत फसलो से आय का आंकड़ा देखते हुए संतरे का बगीचा स्थापित किया। इससे उत्पादन भी मिला। लेकिन, फलाव की समस्या को देखते हुए बगीचे को नष्ट कर दिया। इसके बाद कृषि विज्ञान केन्द्र पर एक प्रशिक्षण में भाग लेने का मौका मिला। यहां पर प्याज-लहसुन की खेती और प्रति बीघा आमदनी का गणित समझने के बाद इन फसलों की खेती शुरू की। इससे आय का आंकड़ा बढ़ाने में मदद मिल रही है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास कुंआ है। साथ ही, जल बचत के लिए मिनी फव्वारा का उपयोग कर रहा हॅू। परम्परागत फसलो में सोयाबीन, मसूर, गेहूं आदि फसलो का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है। 
प्याज-लहसुन से आय
उन्होंने बताया कि ढ़ाई बीघा क्षेत्र में प्याज और 4 बीघा क्षेत्र में लहसुन की खेती करता हॅू। इन फसलों से खर्च निकालने के बाद तीन-साढेतीन रूपए की बचत मिल जाती है। इन फसलों में मिनी फव्वारा सिंचाई और मल्चिंग का उपयोग कर रहा हॅू।
उन्नत पशुपालन
पशुधन के रूप में मेरे पास 3 भैंस और एक गाय है। प्रतिदिन 10 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल जाता है। इसमें से 6-7 लीटर दुग्ध का विपणन करता हॅू। गोबर का उपयोग कम्पोस्ट बनाने में करता हॅू। पशुपालन से मासिक 5-6 हजार रूपए की बचत मिल जाती है। 
स्टोरी इनपुट: डॉ. सेवाराम रूंडला, डॉ. टीसी वर्मा, डॉ. एम युनुस, केवीके, झालावाड़


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इंजीनियरिंग करके दो साल के भीतर ही नौकरी को टाटा, बाय-बाय कहने वाला यह किसान है सतीश पवार। जो साल में तीन फसलो का उत्पादन लेकर कृषिगत बचत का आंकड़ा दोगुना कर चुका है। कोटा क्षेत्र में सतीश ने आलू और जायद फसलों के उत्पादन में अलग पहचान बनाई है। सतीश का कहना है कि नौकरी से जरूरतें पूरी होती। कभी, समृद्धि की झलक देखने को नहीं मिल पाती। अब परिवार के साथ रहकर जीवन का असली सावन देख रहा हॅू। उन्होने बताया कि मुझे नई पहचान और कृषि आय को नया फलक देने में कृषि वैज्ञानिको का मार्गदर्शन भी मेरे लिए अमूल्य है। गौरतलब है कि सतीश खरीफ में धान, रबी में आलू और जायद में खरबूज सहित दूसरी सब्जी फसलों का उत्पादन ले रहे है। जिससे सालाना बचत का आंकड़ा 8-10 लाख रूपए तक पहुंच चुका है। मोबाइल 78283-03623