बकरीपालन से लखपति, सकल आय 6 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)बकरीपालन से सूखे में चारचांद लगाने वाला यह किसान है बालाराम चौधरी। बालाराम ने 30 बकरियों से सालभर में ढ़ाई लाख रूपए की आय प्राप्त की है। जबकि, सकल आय का आंकड़ा 6 लाख के करीब है। बालाराम ने बताया कि बकरीपालन से परिवार की आर्थिकी में रंग भरने लगा है। पहले अकाल की काली छाया से दो चार होना पड़ता था। इस स्थिति में खेत से दाना भी नहीं मिलता था। लेकिन, अकाल का तोड़ अब बकरीपालन के रूप में मिल चुका है। उन्होंने बताया कि कृषि विज्ञान केन्द्र से जुडऩे के बाद आय के आंकड़े में यह बदलाव आया है। बकरीपालन के साथ-साथ खेजड़ी-बेर की खेती और घी उत्पादन भी लाभकारी साबित हो रहा है। मोबाइल 9772568499
जायडू, बाडमेर। किस्मत जब महरबान होती है तो सूखे में भी चार चांद जैसा अहसास देने लगती है। ऐसा ही अनुभव बकरीपालक बालराम चौधरी ने किया है । बालाराम ने साल भर में बकरीपालन से ढ़ाई लाख रूपए की आमदनी प्राप्त की है। शायद इसी कारण से बकरी को गरीब का एटीएम कहा गया है। किसान बालाराम बकरी के अलावा बेर और खेजड़ी की बागवानी से भी आय प्राप्त कर रहा है। किसान बालाराम ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 82 बीघा जमीन है। देखने-सुनने में जमीन का रकबा काफी बढ़ा लगता है। लेकिन, फसलो का उत्पादन अब भी राम भरोसे है। जिस साल अच्छी बरसात हो जाती है तो जमीन उम्मीद से ज्यादा देती है। बरसात नहीं होने पर अकाल से भी दोचार होना पड़ता है। उन्होंने बताया कि अकाल से होने वाली आर्थिक हानि को रोकने के लिए थार में बकरीपालन से अच्छा कोई व्यवसाय नहीं हो सकता है। क्योंकि, बकरियों के दाने की यहां प्राकृतिक व्यवस्था है। इसलिए, पालन का खर्च काफी कम आता है। गौरतलब है कि किसान बालाराम आठवीं पास करने के बाद से ही खेती कर रहा है। उन्होंने बताया कि पहले तो मैं परम्परागत तौर-तरीकों से फसलों का उत्पादन लेता था। लेकिन, अब वैज्ञानिक मार्गदर्शन में वर्षा अधारित फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू। उन्होंने बताया कि वर्ष 2017 में कृषि विज्ञान केन्द्र, श्योर से जुडऩे का मोैका मिला। यही से फसल उत्पादन और बकरीपालन का प्रशिक्षण प्राप्त किया। इसके बाद फसल उत्पादन में काफी सुधार देखने को मिला है। उन्होंने बताया कि बारानी जमीन के चलते एक ही साथ सभी फसलों की बुवाई कर देता था। इस कारण उपज कम मिलती थी। जब से एकल फसल का उत्पादन लेना शुरू किया है, उपज काफी बढ़ चुकी है। परम्परागत फसलों में मूंग, मोठ, बाजरा, ग्वार और तिल का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों में बारिश होने से ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है।
बकरी एटीएम ऐसे
उन्होंने बताया कि वर्ष 2018 में 10 बकरी के सहारे बकरीपालन का कार्य शुरू किया। वर्तमान में बकरियों की संख्या 30 तक पहुंच चुकी है। जबकि, सकल बकरी वंश की संख्या 50 है। उन्होंने बताया कि पहले देसी बकरियां रखता था। लेकिन, अब सिरोही नस्ल की बकरियों का पालन कर रहा हॅू। इससे आय भी अच्छी होने लगी है। पिछले साल बकरियों से ढ़ाई लाख रूपए की आय मिली है। बकरियों के अलावा एक मुर्रा नस्ल की भैंस मेरे पास है। उत्पादित दुग्ध से घी तैयार करके 700 रूपए प्रति किलो की दर से बिक्री कर रहा हूँ। सात माह के दौरान ही साढे 52 हजार रूपए की आय घी बिक्री से हुई है।
बेर-खेजड़ी से आय
उन्होंने बताया कि बेर के 10 पौधें मेरे पास है। इनसे थोड़ी बहुत आय मिल जाती है। लेकिन, कलम विधि से बेर के 100 पौधें तैयार करके खेत में लगाए है। वहीं, खेजड़ी के 250 पौधें लगे हुए है। खेजड़ी के पौधों से प्राप्त होने वाली लूंग बकरियों के आहार में काम आ जाती है। वहीं, सांगरी को सुखाकर बिक्री कर देता हॅू। 10-15 किलो सांगरी की बिक्री से 10 हजार रूपए की आय मिल जाती है।