पहले 3 लाख, अब नेट-पॉली हाउस से कमाते है 15 लाख

नई दिल्ली 26-Nov-2024 01:43 PM

पहले 3 लाख, अब नेट-पॉली हाउस से कमाते है 15 लाख

(सभी तस्वीरें- हलधर)

वहीं, आय का आंकड़ा 14-15 लाख रूपए सालाना तक पहुंच चुका है। उनका कहना है कि पहले हम सभी भाईयों की जमीन मिलाकर इतनी आमदनी नहीं मिलती थी। सालाना ढ़ाई से तीन लाख रूपए की आमदनी होती थी। लेकिन, खीरे की एक फसल से ही इससे दोगुना आमदनी मिल रही है। गौरतलब है कि किसान गोपाल अब खेतों में फूलों की खुशबू भी बिखरने लगे है। मोबाइल-90793-32165

सुजाखेड़ा, चित्तौडग़ढ़। बहुपयोगी खीरा सब्जी मंडी में ही नहीं, खेत के साथ-साथ किसान के जीवन में भी चमक बिखेरता है। यकीन नहीं है तो मिलिए किसान गोपाल लाल जाट से। जिनका कहना है कि सभी भाईयों की जमीन को मिलाकर भी इतनी आय नहीं मिलती थी। जो नेट हाउस और पॉली हाउस से मिल रही है। इससे आधुनिक कृषि में छिपी सफलता और संभावनाओं को आसानी से समझा जा सकता है। गौरतलब है कि संरक्षित खेती से जुड़कर गोपाल को सालाना 14-15 लाख रूपए की आमदनी मिल रही है। किसान गोपाल ने हलधर टाइम्स को बताया कि वैसे तो हमारा संयुक्त परिवार है। लेकिन, 6 बीघा जमीन मेरे हिस्से आती है। उन्होंने बताया कि साल 2020 के पहले परिवार को संयुक्त रूप से दो से ढ़ाई लाख रूपए की बचत मिलती थी। लेकिन, अब खीरे की एक फसल से इससे दोगुना आय मिल जाती है। उन्होने बताया कि शैडनेट और पॉली हाउस लगाने के बाद ना तो मौसम के जोखिम की चिंता रही है और ना आमदनी के लिए कोई फ्रिक। इन संरक्षित संरचनाओं से इतना मिल रहा है कि परिवार के रहगुजर के साथ भविष्य के लिए भी जमा पंूजी का ग्राफ बढ़ रहा है। वहीं, हमारे साथ-साथ दो चार कृषि मजदूरों को भी दो वक्त का गांव में ही निवाला मिल रहा है। उन्होने बताया कि संरक्षित खेती के परिणाम देखने के बाद उद्यान विभाग की अनुदान सहायता से पहले 4 हजार वर्ग मीटर क्षेत्र में शैडनेट हाउस लगाया। इससे उत्साहित परिणाम मिले। कम जगह, कम समय, कम पानी में ज्यादा आय मिली तो मन की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। इसके बाद एक नए पॉली हाउस के लिए आवेदन कर दिया। अब इन संरचनाओं में खीरे का उत्पादन ले रहा हूूॅ। उन्होने बताया कि सिंचाई के लिए पहले पानी की कमी थी। सारी सिंचाई कुएं के भरोसे थी। शैडनेट से हुई आय से एक फार्मपौंड भी खुदवाया। साथ ही, बूंद-बूंद सिंचाई को भी विस्तार दिया। इससे अच्छी आय होने लगी है। उन्होने बताया कि मेरे हिस्से की जमीन में अब परम्परागत फसलों के लिए इतनी जगह रही है जिसमें सोयाबीन, गेहूं और किनवा की उपज मिल जाएं। 
नेट-पॉली हाउस से 12 लाख
उन्होंने बताया कि 4 हजार वर्ग मीटर में शैडनेट हाउस और 2 हजार वर्ग मीटर से साल में चार फसल खीरे की मिल रही है। एक फसल से औसत तीन से साढे तीन लाख रू पए की शुद्ध बचत मिल जाती है। उन्होने बताया कि पॉली हाउस के आस-पास की जगह में चुकंदर, हल्दी और बैंगन का उत्पादन ले रहा हॅू। इससे भी थोड़ी बहुत आमदनी हो जाती है। 
मिर्च-गेंदा से डेढ़ लाख
संरक्षित खेतीमें सफलता मिलने के बाद ड्रिप और मल्च तकनीक से मिर्च और गेंदा फूल का उत्पादन लेना शुरू किया है। दो बीघा क्षेत्र में इन फसलों की बुवाई करता हॅू। इससे खर्च निकालने के बाद डेढ़ लाख रूपए की शुद्ध आमदनी मिल जाती है।  
डेयरी भी लाभकारी
उन्होंने बताया कि पशुधन में मेरे पास 3 गाय और 4 भैंस है। प्रतिदिन 25-30 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिलता है। इसमें से करीब 20 लीटर दुग्ध 50 रूपए प्रति लीटर की दर से डेयरी को बिक्री कर रहा हॅू। गौरतलब है कि गोपाल के पास सरस डेयरी का बीएमसी भी है। उन्होने बताया कि पशुधन का खर्च दुग्ध की बिक्री से निकल जाता है। वहीं, घी से होने वाली आय बचत के रूप में मिल जाती है। 
स्टोरी इनपुट: डॉ. एसएल जाट, उपनिदेशक कृषि, चित्तौडग़ढ़


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