तकनीक आधारित खेती से कमा रहे अब सालाना 8 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)किसान सीताराम दांगी का कहना हैं कि परम्परागत खेती में लाभ का आंकड़ा समय के साथ गिरता जा रहा था। खेती में घटते लाभ को देखते हुए लहसुन-प्याज, सब्जी और मसाला फसल की खेती करना शुरू किया। साथ ही बागवानी में संतरा की खेती को अपनाया। अब सब्जी फसलों का उत्पादन अच्छा लाभ दे रहा है। क्षेत्र के दूसरे किसान भी लहसुन-प्याज की तकनीकी जानकारी लेने मेरे पास पहुंच रहे है। 7-8 लाख रूपए की सालाना आय इस किसान को खेती से हो रही है। मोबाइल 9680736021
धारूखेड़ी, झालावाड़। मात्र 10वीं तक पढ़े सीताराम को यह नहीं पता था कि एक बीघा खेत से 60-70 हजार रूपये की आय हो सकती हैं। वह तो अब तक यही देखता आया था कि चना हो अथवा गेहूं, एक बीघा खेत से साल भर में 8-10 हजार रुपये की आमदनी ही हो सकती है। आमदनी बढ़ाने के लिए दिन-रात खेत में जी तोड़ मेहनत करता। सर्दी, गर्मी और बरसात से भी हार नहीं मानता। फिर भी, अपनी उम्मीदों को मुकाम नहीं दे पाता। लेकिन, अब आधुनिक कृषि तकनीक के सहारे सालाना 7-8 लाख रूपए की आय हो रही है। किसान सीताराम ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 20 बीघा कृषि भूमि हैं। 10वीं पास करने के बाद खेती से जुड़ गया। पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के बारे में कभी विचार ही नहीं किया। सोयाबीन, मसूर सहित दूसरी परम्परागत फसलों का उत्पादन करता रहा। पहले तो परम्परागत फसलों से भी अच्छा लाभ मिलता था। लेकिन, अब वह बात नहीं है। किसान सीताराम ने बताया कि परम्परागत खेती में जैसे-तैसे बच्चों की पढ़ाई करवाई। ईश्वर का आशीर्वाद रहा कि एक लड़का कृषि पर्यवेक्षक बन गया। इसके बाद खेती ने नई करवट ली। परिणाम सबके सामने है। साल दर साल फसलों से मुनाफा बढ़ता जा रहा है। ड्रिप, मल्च के उपयोग और फसल चक्र बदलने से अच्छा लाभ हो रहा है। परम्परागत फसल में चना, गेहूं, मक्का, सोयाबीन का उत्पादन लेता हूॅं। उन्होंने बताया कि कृषि वैज्ञानिकों की सलाह ने मेरे जीवन को बदल दिया हैं। अब ना दिहाड़ी की फ्रिक हैं, ना परिवार के गुजर-बसर की। खेतों की आमदनी से परिवार की समृद्धि साल दर साल बढ़ रही हैं।
ऐसी बदली किस्मत
पहले सोयाबीन और मसूर जैसी फसल का उत्पादन लिया करता था। इससे प्रति बीघा 10 से 15 हजार रूपए की बचत होती थी। लेकिन, पिछले चार साल से कलौंजी, लहसुन, प्याज, अलसी, किनवा जैसी फसल का उत्पादन लेना शुरू किया है। इससे आय बढ़कर दोगुना हो गई है। हर साल 3-4 बीघा क्षेत्र में लहसुन की फसल लेता हॅू। इसके अलावा 2 बीघा क्षेत्र मेें कलौंजी और प्याज की फसल लेता हॅू। इन फसलों के उत्पादन से प्रति बीघा 45-50 हजार रूपए की आय होने लगी है। 4 बीघा क्षेत्र में संतरे का बगीचा भी लगाया है। जिससे सालाना डेढ़ से दो लाख रूपए की आमदनी मिल रही है।
सब्जी उत्पादन से मुनाफा
उन्होंने बताया कि आय बढाने के लिए कृषि वैज्ञानिकों की सलाह पर सब्जी उत्पादन से जुड़ा। 2 बीघा क्षेत्र में टमाटर, भिड़ी, मिर्च, बैंगन का उत्पादन ले रहा हूॅं। सब्जियों का विपणन झालावाड़ मंड़ी में करता हूॅं। जिससे डेढ़ से दो लाख रूपए की आमदनी दे रहा हैं।
उन्नत पशुपालन
पशुधन में मेरे पास 6 भैंस हैं। प्रतिदिन 18-20 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा हैं। एक समय का दुग्ध 40 रूपए की दर से गांव में ही विपणन कर देता हॅूं। इससे परिवार के प्रतिदिन का खर्च निकल रहा हैं। सब्जी और फसल से मिलने वाली आय शुद्ध मुनाफे के रूप में मिलने लगी हैं। पशु अपशिष्ट का उपयोग कम्पोस्ट खाद बनाने में कर रहा हॅूं।