सब्जी और गेंदा फूल से बरसी लक्ष्मी, बचत 4 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)लेकिन, 8 बीघा जमीन लीज पर लेकर फूलों की खेती के साथ अपनी आय को महका रहे है। साथ ही, सब्जी उत्पादन और नर्सरी के साथ पशुपालन से भी अच्छी आमदनी प्राप्त कर रहे है। जिससे सालाना 3-4 लाख रूपए की आमदनी मिलने लगी है। मोबाइल 99299-38467
नौगामा, राजसमंद। कृषि नवाचारों से अनूठी पहचान बनाने वाला किसान है लक्ष्मी नारायण कुमावत। इन्होंने वैज्ञानिक तौर-तरीकों से फसल का उत्पादन लेना शुरू किया। परिणाम यह रहा कि फूलों की खेती से सालाना 50-60 हजार रूपए बचत हो रही है। वहीं, सब्जी उत्पादन और नर्सरी से भी अच्छी आमदनी मिलने लगी है। यदि किसान लक्ष्मी नारायण अपनी पैतृक जमीन के भरोसे बैठे रहते तो परिवार का खर्च चलाना भी मुश्किल हो जाता है। इसलिए लक्ष्मी नारायण ने जहां चाह, वहां राह को सटीकता देते हुए जमीन लीज पर लेकर खेती करना शुरू किया। इसके चलते अब सालाना 3-4 लाख रूपए की शुद्ध मुनाफा मिलने लगा है। किसान लक्ष्मी नारायण ने हलधर टाइम्स को बताया कि पढ़ाई छोड़कर खेती से जुड़ गया। उन्होने बताया कि पहले तो सब कुछ सामान्य रहा। लेकिन, जमीन के बंटवारे बाद एक बीघा जमीन मेरे हिस्से आई। इस जमीन के सहारे परिवार का खर्च चलाना टेढ़ी खीर से कम नहीं। इस स्थिति को देखते हुए जमीन लीज पर लेकर फसल उत्पादन लेना शुरू किया। थोड़ा फायदा नजर आया तो बीज की गुणवत्ता के साथ-साथ फसल उत्पादन के तौर-तरीकों में बदलाव करना शुरू किया। ताकि, सभी फसलों से आशातीत उत्पादन मिल सके और आमदनी का अंाकड़ा बढ़ सके। उन्होने बताया कि खेती की नई-नई तकनीक सीखने के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र द्वारा आयोजित कृषि प्रशिक्षण सहित दूसरे कार्यक्रमों में भाग लेना शुरू किया। यहां से खेती की लागत घटाने का सबक मैने सीखा। इसके लिए देसी पशुधन की संख्या बढ़ाई। साथ ही, फूलों की खेती के साथ-साथ सब्जी उत्पादन और नर्सरी के व्यवसाय से जुड़ गया। इस कारण जमीन का किराया भी निकल रहा है। वहीं, सालाना 3-4 लाख रूपए की बचत भी नजर आने लगी है। उन्होंने बताया कि सिंचाई के लिए नदी का पानी उपलब्ध है। साथ ही, ड्रिप का भी उपयोग कर रहा हॅू। परम्परागत फसलों में गेहूं, मक्का आदि फसलों का उत्पादन लेता हॅू। ताकि, बाहर से अनाज नहीं खरीदना पडे।
2 बीघा में गेंदा फूल
उन्होने बताया कि केवीके से प्रशिक्षण लेने के बाद फू लों की खेती करना शुरू किया। पहले आधा बीघा क्षेत्र में गेंदा फूल का उत्पादन लेकर देखा। इससे आमदनी अच्छी हुई तो फूलों की खेती का दायरा बढ़ा दिया। वर्तमान में दो बीघा क्षेत्र में फूलो की खेती कर रहा हॅू। इस फसल से प्रति बीघा 50-60 हजार रूपए की आमदनी मिल जाती है।
4 बीघा में सब्जी उत्पादन
उन्होंने बताया कि फूलों की शीतकालीन फसल लेने के बाद शेष जमीन पर सब्जी फसलों की खेती करता हॅू। सब्जी फसलों का दायरा लगभग 4 बीघा के करीब है। सब्जी फसलों में टमाटर, गोभी, मटर, भिंडी, ग्वार सहित सभी मौसमी सब्जी फसल शामिल है। इन फसलों से खर्च निकालने के बाद डेढ़ से दो लाख रूपए की बचत मिल जाती है।
पशुधन से भी आय
उन्होंने बताया कि पशुधन में मेरे पास करीब 15 गाय है। प्रतिदिन 30 किलोग्राम दुग्ध का उत्पादन मिलता है। परिवार बड़ा होने से दुग्ध का विपणन नहंी करता हॅू। शेष रहने वाले दुग्ध से घी तैयार करता हॅू। इससे पशुधन का खर्च निकल जाता है। पशु अपशिष्ट से जीवामृत, बीजामृत, वर्मी वॉश सहित दूसरे जैव उत्पाद तैयार करता हॅॅॅॅू। ताकि, बाजार से रासायनिक खाद और कीटनाशकों की खरीद नहीं करनी पडे।
स्टोरी इनपुट: डॉ. पीसी रैगर, कृषि विज्ञान केन्द्र, राजसमंद