7 जमात फेल के आम का पत्ता-पत्ता पीएचड़ी

नई दिल्ली 30-Jul-2024 06:24 PM

7 जमात फेल के आम का पत्ता-पत्ता पीएचड़ी (सभी तस्वीरें- हलधर)

7 जमात फेल के आम का पत्ता-पत्ता पीएचड़ी 

पदमश्री हाजी कलीमउल्लाह  खान के आम के अद्भुत और अकूत अनुसन्धान पर हलधर टाइम्स की खास रिपोर्ट


जयपुर। किसान को पहला क़ृषि वैज्ञानिक ऐसे ही नहीं कहा जाता। शिक्षा भी इसमें आड़े नहीं आती है। अब, पदमश्री हाजी कलीमउल्लाह खान को ही ले लीजिए। मात्र 7 जमात फेल कलीमउल्लाह का आम अनुसन्धान ऐसा है कि सरकार के बड़े - बड़े अनुसन्धान एक तरह, कलीमउल्लाह अकेले एक तरह। जी हां, हिदुस्तान को 150 साल पहले ग्राफ्टिंग (कलम चढ़ाना) तकनीक  के साथ आम का अद्भुत और अकूत खजाना देने वाले परिवार के ऐसे ही चिराग है पदमश्री हाजी कलीमउल्लाह खान। कलीमउल्लाह एशिया के टॉप 100 अन्वेषकों में शामिल है। ऐसे में कहा जा सकता है कि जीवन में सफलता के लिए पढ़ाई ज्यादा मायने नहीं रखती, मन में फलक को छूने का जज्बा ज्यादा जरूरी है। गौरतलब है कि पदमश्री हाजी कलीमउल्लाह खान ने हाल ही मेें आम की ऐसी किस्म तैयार की है, जिसके बारे में देश-दुनिया के उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी। क्योंकि, आम की इस किस्म में हर खूबी "डबल" है। जैसे दो रंग, दो स्वाद, दो रस, दो खुशबू, दो मजे। जैसे फल का एक छिलका हरा तो दूसरा पीला,  गुदा भी दो रंग का है एक पीला दूसरा डार्क रेड। स्वाद भी दोनों गुदे के अलग -अलग है. इसी तरह अन्य खूबियां शामिल है। दुनिया की इकलौती इस किस्म को गिनीज ऑफ बुक रिकॉर्ड में जगह मिली है। इस किस्म को उन्होने "अनारकली" नाम दिया है। पदमश्री हाजी कलीमउल्लाह खान ने हलधर टाइम्स के संपादक शरद शर्मा को विशेष चर्चा में बताया कि आम कि ऐसी किस्म भी तैयार कि जा सकती है, जिसके रस का रंग खून के जैसा हो सकता है। पद्मश्री कलीमउल्लाह खान कहते है आम का अद्भुत और अकूत संसार उन्हें विरासत में मिला है, राजा महाराजाओं से लेकर मुगल सल्तनत को भी हमारे पूर्वजों ने आम खिलाएं है। उन्होंने बताया कि आम का रंग-रूप बदलने का हनुर भी परिवार से ही मुझे मिला है। परिवाजनों ने करीब डेढ़ सौ साल पहले आम में कलम बांधना शुरू किया था। जिसे बाद में उद्यानिकी वैज्ञानिकों ने ग्रांफ्टिग तकनीक नाम दिया। गौरतलब है कि इनके बगीचे में आम के पेड़ को देखकर जापान और अमेरिका से लेकर दुनिया भर के साइंटिस्ट हैरान है। "मैंगोमैन" के नाम से मशहूर हाजी कलीमउल्लाह खान एक इंडियन बागवान और फल प्रजनक हैं। आम, अमरूद की नई-नई किस्म विकसित कर मील का पत्थर गाडऩे वाल खान पर इनके खेतों के साथ-साथ जीवन पर भी पीएचड़ी की जा सकती है। गौरतलब है कि अब तक 20 से अधिक विभिन्न प्रकार की आम किस्म यह तैयार कर चुके है। 
साढे सात सौ जर्मप्लाज्म संरक्षित
हाजी कलीमउल्लाह खान ने बताया कि सन 1919 में उनके परिवार के पास 1300 से ज्यादा आम की किस्मे थी। जो समय के साथ खत्म होती गई। उन्होंने बताया कि वर्तमान में 750 जर्मप्लाज्म को सीआईएसएच में संरक्षित रखा हुआ है। ताकि, इन जर्मप्लाज्म के जरिए आम के विविधतापूर्ण संसार को भविष्य में भी बनाए रखा जा सके। गौरतलब है कि हाजी कलीमउल्लाह खान ने होश संभालने के बाद आम में विविधता के रंग भरना शुरू किया। इसके परिणाम स्वरूप वर्ष  2008 में आम की नई किस्म विकास और अनुसन्धान के लिए तत्कालीन राष्ट्रपति प्रतिभा पाटिल ने कलीमउल्लाह को पद्मश्री सम्मान से नवाजा। वहीं, उत्तरप्रदेश सरकार ने वर्ष 2008 में ही उद्यान पंडित पुरस्कार प्रदान किया। वैसे इनके सेवा सम्मान की फेररिश्त काफ़ी लम्बी है। 
अजूबे से कम नहीं आम का पेड़
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 30 किलोमीटर दूर मलियाबाद चौराहे के पास दुनिया का इकलौता ऐसा आम का पेड़ है, जिसके ऊपर 300 से ज्यादा किस्म के आम फलते हैं। इस पेड़ पर लगे आम में सभी के रंग, रूप, आकार और स्वाद बेहद ज़ुदा होते हैं।  वैज्ञानिकों को हैरान करने वाले इस पेड़ के जन्मदाता हैं मलियाबाद के रहने वाले हाजी कलीमउल्लाह खान। वर्ष 1940 में जन्म लेने वाले हाजी कलीमउल्लाह ढलती उम्र में भी थके नहीं है। आम और अमरूद पर उनके नवाचारों का सिलसिला जारी है। उनके अनुभव का फायदा देश-दुनिया के उद्यानिकी वैज्ञानिक उठा रहे है। उन्होने बताया कि आम की 15-20 अलग-अलग खूबी वाली किस्म का विकास कर चुका हॅॅू। वहीं, 3 से 4 किस्म पाइपलाइन में है। गौरतलब है कि कलीमउल्लाह खान अब तक मोदी, ऐश्वर्या, अखिलेश, योगी, मुलायम, बच्चन, खासोखास, गुलाबखास, राजावाला, अब्दुल कलाम सहित देश कि नामचीन हस्तियों के नाम से आम की कई किस्मों का विकास कर चुके है। 

दशक तक चलता है रामकेला का अचार
उन्होने बताया कि अचार के लिए आम कि एक किस्म विकसित की है। जिसका अचार एक दशक तक खराब नहीं होता है। आम कि इस किस्म का नाम है रामकेला। 

खास है कलीम दशहरी 

दशहरी आम की एक नई किस्म कलीमउल्लाह खान ने तैयार की है। जिसका नाम है कलीम दशहरी। सामान्य तौर पर दशहरी आम का रंग गहरा हरा होता है। लेकिन, इनके द्वारा तैयार की गई किस्म का फल् गुलाबी होता है, यह फल पकने पर सुर्ख गुलाबी हो जाता है। इसका फल आकार में बड़ा और प्रति फल का वजन 750 ग्राम से सवाकिलो तक रहता है। इस किस्म को लेकर सीआईएसएच के माध्यम से पेटेंट फाइल किया है। वहीं, गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्ड के लिए भी आवेदन किया है।
 
सेब से खूबसूरत अमरूद
उन्होने बताया कि आम के साथ-साथ अमरूद की भी एक नई किस्म तैयार की है। यह दिखने में सेब से भी खूबसूरत है। इस किस्म का नाम है ऐश्वर्या। इस किस्म के पौधें में इतने फल लगते है कि पौधा जमीन चूम जाता है। समय पर इसके फल कि तुड़ाई नहीं कि जाए तो पौधा टूट सकता है।
 
हौसला एक नजर 
वर्ष 1940 में जन्म लेने वाले हाजी कलीमउल्लाह खान की आम को लेकर दीवानगी और जुनून ढलती उम्र में भी बरकरार है। उनका कहना है कि सरकार सहयोग दे तो खून के रंग जैसी गूदे वाली आम की किस्म तैयार कर सकता हॅू। 
रिपोर्ट-शरद शर्मा


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