आय बढौत्तरी के लिए सूबेदार मेजर ने पपीता पर साधा लक्ष्य

नई दिल्ली 02-Oct-2024 12:35 PM

आय बढौत्तरी के लिए सूबेदार मेजर ने पपीता पर साधा लक्ष्य

(सभी तस्वीरें- हलधर)

इस साल 10 बीघा क्षेत्र में पपीता का बगीचा स्थापित किया है। इससे अब पौधों पर मेहनत नजर आने लगी है। यह कहना है कि भारतीय सेना से  सूबेदार मेजर(मानद कैप्टन) रैंक से रिटायर्ड किसान रामस्वरूप सिंह राजपूत का। उन्होने बताया कि पपीता की खेती से प्रति बीघा डेढ़ से दो लाख रूपए की आमदनी होने की उम्मीद है। मोबाइल 80048-96701
चावनहेड़ी,भीलवाड़ा। बागवानी फसलों का उत्पादन किसानों को पंख देते देर नहीं करता है। यकीन नहीं है तो किसान रामस्वरूप सिंह राजपूत से। जिन्होंने पपीता की खेती में दो बार आर्थिक नुकसान उठाने के बाद भी अपने लक्ष्य को नहीं बदला। इस साल 10 बीघा क्षेत्र में पपीता की फसल पकने को तैयार खड़ी है। गौरतलब है कि किसान रामस्वरूप भारतीय सेना से सूबेदार मेजर(मानद कैप्टन) रैंक से सेवानिवृत हुए है। इसके बाद पपीता की खेती में सफलता का लक्ष्य बनाया। इसी का परिणाम है कि खेतों में अब लाखों रूपए की पैदावार होने की उम्मीद नजर आने लगी है। 10 बीघा क्षेत्र में फैले पपीता के पौधों पर उत्पादन देखते ही बन रहा है। उन्होंने बताया कि 12वीं की पढ़ाई पूरी होने के साथ ही भारतीय सेना में भर्ती हो गया। विज्ञान विषय के चलते लैब टेक्नीशियन की पोस्ट पर फरवरी 2024 तक सेवाएं दी। सेवाकाल के साथ पदनाम भी बदलता रहा। उन्होंने बताया 10 बीघा जमीन मेरे पास है। इस पर पहले परिवारजन परम्परागत फसलों की खेती करते थे। इससे सालाना दो लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। क्षेत्र के दूसरे किसानों को देखते हुए मेरे सेवानिवृत होने से पूर्व ही 5 बीघा क्षेत्र में पपीते का बगीचा स्थापित किया। लेकिन, अलग-अलग कारणों से बगीचे से आशातीत उत्पादन नहीं मिल पाया। इस कारण आर्थिक नुकसान से भी दो चार होना पड़ा। लेकिन, इस साल 10 बीघा क्षेत्र में पपीता के पौधें लगाए है। वैज्ञानिक तौर-तरीके से देखरेख होने के चलते पौधों पर अच्छे फल देखने को मिल रहे है। इस कार्य में कृषि विज्ञान केन्द्र भीलवाड़ा से भी सहयोग मिल रहा है। 
परम्परागत से दो लाख
उन्होंने बताया कि जमीन के पूरे रकबे में पपीता की खेती करने से परम्परागत फसलों का इस साल उत्पादन नहीं मिल पायेगा। जबकि, पहले गेहूंू, सरसों, मक्का, ग्वार जैसी फसलों से सालाना दो लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। 
जैविक आदानों का उपयोग
उन्होंने बताया कि बडे भाई पशपालन कर रहे है। उनसे गोबर और गौमूत्र लेकर पपीता में कीट-रोग नियंत्रण के लिए जैविक आदान तैयार कर रहा हॅू। इससे पौधो के साथ-साथ फल की गुणवत्ता अच्छी देखने को मिल रही है। 
स्टोरी इनपुट: डॉ. सीएम यादव, डॉ. केसी नागर, अनिता यादव, प्रकाश कुमावत, केवीके, भीलवाड़ा


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