भेड़-बकरी से सरसब्ज खेती, कमाई 6 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)इन्होंने डिग्गी के पानी के सहारे नींबू और बेर की बगवानी शुरू की है। साथ ही, मसाला पुंसलों का उत्पादन ले रहे है। इससे आय का आंकड़ा सालाना 6 लाख रूपए तक पहुंच चुका है। गौरतलब है कि भारूराम ने पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए नेपियर घास का उत्पादन भी शुरू किया है। मोबाइल 78786-10337
ईशरोल, बाड़मेर। लघु और सीमांत किसानों के लिए भेड़-बकरीपालन नगद आय का एक सशक्त जरिया रहा है। इस बात को कई किसान अक्षरश: साबित करने में सफल रहे है। ऐसे ही किसान है भारूराम गोदारा। जिन्होने भेड-बकरीपालन से मिली आमदनी से खेतों को सरसब्ज किया है। इससे आय का सालाना आंकड़ा 6 लाख रूपए तक पहुंच गया है। किसान भारू राम ने हलधर टाइम्स को बताया कि कभी स्कू ल का मुंह नहीं देखा। सूरत संभालने के साथ अपने को खेतों में पाया। उस समय खेती से ज्यादा पशुधन का ही सहारा था। क्योंकि, जमीन बारानी थी। इस कारण पशुपालन से शुरू से ही जुड़ाव रहा। बाद में चारे की समस्या के चलते भेड़-बकरीपालन से जुड गया। इससे सालाना दो से तीन लाख रूपए की आमदनी मिलने लगी। तब से अब तक भेड़-बकरीपालन ही परिवार की आर्थिकी का मुख्य जरिया रहा है। हालांकि, कृषि विज्ञान केन्द्र से जुडऩे और खेत में सिंचाई की समस्या विकसित करने से रबी-खरीफ फसलों का भी अच्छा उत्पादन मिलने लगा है। जिससे आमदनी में इजाफा देखने को मिल रहा है। उन्हांंने बताया कि सरकार की अनुदान योजना का लाभ लेकर खेत में सौर उर्जा संयत्र लगाया है। साथ ही, डिग्गी का भी निर्माण करवाया है। इसके अलावा सिंचाई के लिए ट्यूबवैल है। लेकिन, इससे अब बाजरा, जीरा और ईसबगोल जैसी फसलो का उत्पादन लेने लगा हॅू। इन फसलों से सालाना 3-4 लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है।
एक नजर पशुधन
उन्होने बताया कि वर्तमान मेें मेरे पास 20 भेड़, 50 बकरी और तीन गाय है। भेड़-बकरी के पालन से सालाना डेढ़ से दो लाख रूपए कीआमदनी मिल जाती है। वहीं, गाय का दुग्ध घर के साथ घी बनाने में उपयोग हो जाता है। इससे पशुधन का खर्च निकल जाता है। भेड़-बकरी से होने वाली आय शुद्ध मुनाफे के रूप में होती है। उन्होने बताया कि पशुओं को वर्ष भर हरा चारा उपलब्ध कराने के लिए आधा बीघा क्षेत्र में नेपियर घास का उत्पादन भी कर रहा हॅू।
बेर से भी आय
उन्होने बताया कि आधा-आधा बीघा क्षेत्र में नींबू और बेर के पौधें लगाए हुए है। बेर के पौधों से आमदनी मिलना शुरू हो गई है। बेर की बिक्री गांव स्तर पर ही हो जाती है। इससे सालाना 45-50 हजार रूपए की आमदनी होने लगी है।
स्टोरी इनपुट: डॉ. रावताराम भाखर, डॉ. रघुवीर कुमार, डॉ. ओपी सोनी, पशुपालन विभाग, बाड़मेर