दादा की अनमोल विरासत : एमबीए करके बना किसान, कमाई 60 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)इसी का परिणाम है कि परम्परागत फसलों तक सीमित रहने वाली खेती अब बागवानी, पुष्प और नर्सरी कारोबार की सीढ़ीयां चढ़ चुकी है। इससे खेती से सालाना बचत का आंकड़ा 50-60 लाख रूपए से ऊपर निकल चुका है। गौरतलब है कि किसान अनमोल देशभर में फूल-सब्जी और जैविक आदान उपलब्ध करवा रहे है। मोबाइल 90799-14737
गांगवा, नागौर। शौखियों से आगे, आईना देखा है, खेती के सफर से, हमने फायदा देखा है। मूंग और कसूरी मैथी का गढ़ कहे जाने वाले नागौर में बागवानी फसल उत्पादन के साथ नर्सरी और फार्म डवलपमेंट का रोड़मैप तैयार करने वाले किसान है अनमोल सोलंकी। अनमोल ने अपने खेतों में समन्वित कृषि का मॉडल तैयार किया है। इससे सालाना आय का आंकड़ा लाखों में पहुंच चुका है। इससे सकल लाभ का आंकड़ा औसतन 50-60 लाख रूपए से ऊपर पहुंच है। किसान अनमोल ने हलधर टाइम्स को बताया कि एक तरह से मैने दादाजी की विरासत में अपना बिजनेस देखा है। एमबीए-मार्केटिंग करने के साथ ही यह तय कर लिया था कि जमीन से जुड़कर ही अपना लक्ष्य हासिल करूंगा। इसी का परिणाम है कि तीन-चार साल में आमदनी के साथ-साथ देश भर में फार्म डवलपमेंट से जुड़ी मेरी कंसल्टेंसी पारेश्वर को पहचान मिली है। गौरतलब है कि किसान अनमोल फूलदार पौधों के साथ-साथ सब्जी फसलों की नर्सरी से भी अच्छा मुनाफा कमा रहे है। उन्होंने बताया कि परिवार के पास 50 बीघा जमीन है। दादाजी खेती से जुडे रहे। वर्ष 2021-22 में एमबीए करने के बाद मैने खेती को व्यवसाय बनाया। यही कारण है कि परिवार के साथ रहकर मैं नौकरी पेशा से ज्यादा बचत प्राप्त कर रहा हॅू। उन्होने बताया कि परम्परागत फसलों में बाजरा, तिल, ग्वार, मूंग, गेहंू, जौ और मैथी का उत्पादन लेता हूॅ। इन फसलों से सालाना 4-5 लाख रूप्ए बचत मिल जाती है। सिंचाई के लिए 2 कु एं और एक ट्यूबवैल है। जल बचत के लिए ड्रिप सिंचाई का उपयोग कर रहा हॅू।
बागवानी से बीघा से दो लाख
उन्होंने बताया कि दादाजी ने नींबू का बगीचा स्थापित किया था। जब मैं खेती से जुड़ा तो मैने खेतों में नींबू के पौधों की संख्या बढ़ा दी है। वर्तमान में एक हैक्टयर क्षेत्र में नींबू के 500 पौधें लगे हुए है। साल में दो बार नींबू का उत्पादन मिलता है। इससे प्रति बीघा 2 लाख रूपए तक बचत मिल जाती है। वहीं, 15 बीघा क्षेत्र में फू लों की खेती कर रहा हूॅ। इससे भी दो से ढ़ाई लाख रूपए बीघा की बचत मिल रही है। इसके अलावा 50 बीघा क्षेत्र में फूलों की लीज आधारित खेती करवा रहा हूॅ। इससे क्षेत्र में फूलों की खेती दूसरे किसानों के लिए भी फायदे का सौदा बन चुकी है।
नर्सरी से मासिक दो लाख
उन्होंने बताया कि बागवानी फसलों में सफलता मिलने के बाद नर्सरी में पौधेें तैयार करना शुरू कर दिया। वर्तमान में ढ़ाई बीघा क्षेत्र में नर्सरी स्थापित है। इसमें गेंदा, लेमन जाफरी की तीन किस्म, गेलार्डिया, गुलदाउदी आदि फूलों के साथ मिर्च, टमाटर, बैंगन, पत्ता और फूलगोभी की पौध तैयार करके देशभर में आपूर्ति देता हॅू। इसके लिए पेन इंडिया का प्लेटफार्म यूज कर रहा हॅू। उन्होने बताया कि नर्सरी के व्यवसाय से मासिक दो से ढ़ाई लाख रूपए की बचत मिल रही है।
उन्नत पशुपालन
उन्होंने बताया कि पशुधन में मेरे पास तीन गाय और दो भैंस है। उत्पादित दुग्ध घर में काम आ जाता है। वहीं, पशु अपशिष्ट से वर्मी कम्पोस्ट के साथ गौवंश आधारित जैविक आदान जैसे जीवामृत, पंचगव्य, वर्मी वाश, फल अपशिष्ट, सूक्ष्म पोषक तत्व घोल, वानस्पतिक काड़े तैयार करके स्वयं भी उपयोग ले रहा हॅू। साथ ही, दूसरे किसानों को भी बिक्री कर रहा हॅू।