मौसमी से पैसों की बरसात, सालाना कमाई 22 लाख

नई दिल्ली 09-Oct-2024 10:42 AM

मौसमी से पैसों की बरसात, सालाना कमाई 22 लाख

(सभी तस्वीरें- हलधर)

एक मौसम्बी के पेड़ से सालाना 1500 रूपए की बचत मिल जाती है। वहीं, अमरूद की खेती और बकरीपालन से भी अच्छी आमदनी मिलने लगी है। यह कहना है किसान वेंदात प्रताप सिंह का। जो बीकॉम करने के बाद खेती से जुड़े है। उन्होंने बताया कि तीन साल पहले शुरू किए बकरीपालन से लागत वसूल हो चुकी है। वहीं, धीरे-धीरें बकरियों का कुनबा और आमदनी का ग्राफ बढ़ रहा है।  मोबाइल 77427-63730
सिंगानिया, झालावाड़। खेतों में पैसों के पेड कैसे लगाए जाते है, प्रकृति ने यह सौगात केवल किसानों को ही दी है। यकीन नहीं है तो मिलिए किसान वेदांत प्रताप सिंह से। जो मौसम्बी के एक पौधे से 1500 रूपए की बचत ले रहे है। साथ ही, अमरूद की बागवानी और बकरीपालन से भी आय बढ़ाने में जुटे हुए है। गौरतलब है कि किसान वेदांत प्रताप खेती से सालाना 20-22 लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा ले रहे है। किसान वेदांत प्रताप सिंह ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 51 बीघा जमीन है। पिताजी शारीरिक शिक्षक होने के चलते खेती को ज्यादा समय नहीं दे पाते। इस कारण बीकॉम करने के साथ ही खेती से जुडऩे का मन बना लिया था। उन्होंने बताया कि 8-9 साल पहले खेतों मेें बागवानी फसलो का नामोनिशान नहीं था। लेकिन, आय बढ़ाने की फ्रिक ने मुझे बागवानी से जोड़ दिया। अब परिणाम सबके सामने है। प्रकृति का साथ मिलने से मौसमी के पेडो से पैसो की बरसात हो रही है। इससे आय का ग्राफ पहले से काफी बढ़ चुका है। उन्होने बताया कि फसल प्रबंधन के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र, झालावाड़ के वैज्ञानिकों की मदद भी ले रहा हॅू। इस कारण बगीचे उत्पादक बने हुए है। उन्होने बताया कि सिंचाई के लिए ओपन वैल और नदी का पानी उपलब्ध है। परम्परागत फसलों में सोयाबीन, गेहूं, चना, लहसुन, प्याज आदि फसलों का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना 3-4 लाख रूपए की बचत मिल जाती है। 
पेड़ पर पैसे ऐसे
उन्होंने बताया कि खेती से जुडऩे के बाद पहले तो परम्परागत फसलों से आय का गणित समझा। इसके बाद मौसमी का बगीचा स्थापित किया। वर्तमान में मेरे पास 21 बीघा क्षेत्र में मौसम्बी का बगीचा है। बगीचा 8-9 साल का हो चुका है। इस कारण सभी पेड़ो से अच्छा उत्पादन प्राप्त हो रहा है। बगीचे में मौसमी के 1100 पौधें लगे हुए है। प्रति पेड़ 1500 रूपए की बचत मिल रही है। इसके अलावा 4 बीघा क्षेत्र में 6 साल पुराना अमरूद का बगीचा भी स्थापित है। अमरूद की फसल से भी सालाना सवा दो लाख रूपए की आमदनी मिल रही है। 
बकरी बनी एटीएम
उन्होने बताया कि बाजार मांग को पहचानते हुए तीन साल पहले बकरीपालन को अपनाया। वर्तमान में सिरोही नस्ल की 50 के करीब बकरियां मेरे पास है। उन्होने बताया कि बकरीपालन से सालाना डेढ़ लाख रूपए से ज्यादा की आमदनी हो जाती है। दुग्ध संबंधी घरेलू आवश्यकता पूर्ति के लिए पशुपालन किया हुआ है। 
स्टोरी इनपुट: डॉ. सेवाराम रूंडला, डॉ. योगेन्द्र कुमार मीना, डॉ. टीसी वर्मा, डॉ. एम युनुस, केवीके, झालावाड़। 


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