डेयरी में दिखाया अपना प्रताप, कमाई एक लाख मासिक

नई दिल्ली 11-Sep-2024 04:02 PM

डेयरी में दिखाया अपना प्रताप, कमाई एक लाख मासिक

(सभी तस्वीरें- हलधर)

दुग्ध उत्पादन से परिवार की आर्थिकी बदलने वाला किसान है गुरप्रताप सिंह। उन्होंने बताया कि घरेलू पशुधन के सहारे डेयरी का श्रीगणेश किया। उपभोक्ताओं को दुग्ध की गुणवत्ता पसंद आई  तो बचत से पशुधन की संख्या बढाने लगा। वर्तमान में दो दर्जन से ज्यादा गाय मेरे पास है। प्रतिदिन सवा दो क्विंटल दुग्ध का उत्पादन हो रहा है। इससे सारा खर्च निकालने के बाद लाख रूपए से थोड़ी ज्यादा मासिक बचत मिलने लगी है। उन्होने बताया कि  डेयरी से जुडऩे के बाद खेती और दुग्ध व्यवसाय से होने वाले आय का अंतर समझ आ चुका है। इस कारण अब खेतों में उन्हीं फसलों का उत्पादन ले रहा हॅू, जो पशुधन के चारे में काम आती है। मोबाइल 94601-20023
ृ23 एमएल, श्रीगंगानगर। कहते है कि मेहनत करने वालों की कभी हार नहीं होती है। इस बात को साबित कर दिखाया है किसान गुरप्रताप सिंह ने। गुरप्रताप ने डेयरी व्यवसाय में अपनी अलग पहचान बनाई है। गौरतलब है कि पशुपालक गुरप्रताप ने घरेलू पशुधन के सहारे डेयरी क्षेत्र में कदम बढ़ाया था। समय के साथ पशुधन की संख्या बढ़ती गई। परिणाम यह रहा कि मासिक लाख रूपए से अधिक की शुद्ध बचत हो रही है। पशुपालक गुरप्रताप ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 25 बीघा कृषि भूमि है। परिवार की आर्थिकी जमीन से पैदा होने वाले अनाज पर निर्भर थी। लेकिन, डेयरी से जुडऩे के बाद परिवार के आर्थिक हालात पूरी तरह से बदल चुके है। उन्होंने बताया कि आठवीं पास करने के बाद पढ़ाई छोड़ दी। पिताजी के साथ खेती करने लगा। समय के साथ परिवार के खर्च बढ़े तो फसल चक्र में बदलाव लाना शुरू किया। साथ ही, खेतों मे सिंचाई की सुविधा का विस्तार किया। इसके बाद सबकुछ सामान्य चल रहा था। लेकिन, शुरू से ही लाभकारी रही बीटी कपास की फसल में बढते कीट प्रकोप ने कुछ नया सोचने को मजबूर कर दिया। इसी बीच बेटा भी कनाड़ा से अपनी पढ़ाई पूरी करके घर लौट आया। उसके दिमाग और मेरी मेहनत से घरेलू पशुधन के सहारे डेयरी की ओर कदम बढ़ाएं। दुग्ध की गुणवत्ता उपभोक्ताओ को रास आई तो पंख लगते ज्यादा समय नहीं लगा। उन्होने बताया कि बेटे ने अब डेयरी क्षेत्र में भी अपना करोबार शुरू करने का मन बनाया है। 
उन्होंने बताया कि वर्तमान में पशुओं की संख्या दो दर्जन से ज्यादा है। इनमें एचएफ, जर्सी और राठी नस्ल की गाय शामिल है। इनसे प्रतिदिन सवा दो क्विंटल दुग्ध का उत्पादन मिल जाता है। दुग्ध का विपणन 52 रूपए प्रति लीटर की दर से उपभोक्ताओ को कर रहा हॅू। इससे खर्च निकालने के बाद प्रतिमाह लाख रूपए से थोड़ी अधिक शुद्ध बचत मिल रही है। 
आवास व्यवस्था
उन्होंने बताया कि पशुओं की आवास व्यवस्था छायादार वृक्षों के पास की हुई है। तेज गर्मी को देखते हुए संकर गायों के लिए 80 गुना 50 आकार का आवास वैज्ञानिक ढग़ से तैयार किए हुए है। यह आवास घर गर्मियों में ठंडा और सर्दियों में गर्म रहता है। जिससे गाये अपने आप को वातानुकूलित महसूस करती हैं, वहीं गर्मी में गायों के दूध उत्पादन पर विपरित प्रभाव नहीं पडता है। उन्होनें बताया कि पशुओं के स्वास्थ्य, डी-वर्मिंग और टीकाकरण के लिए राजकीय पशु चिकित्सालय के चिकित्सक की सेवा लेता हूं।  
परम्परागत से 2 लाख
उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों में कपास, गेहूं, जौ, मक्का, ज्वार, ग्वार आदि फसलों का उत्पादन लेता हॅू। इनमें से नरमा को छोड़कर अधिकांश फसलें फसल पशुधन के काम आ जाती है। शेष को बिक्री कर देता हॅू। इन फसलों से सालाना डेढ़ से दो लाख रूपए की आय मिल जाती है। सिंचाई के लिए नहरी पानी उपलब्ध है।
पांच को दिया रोजगार
उन्होंने बताया कि दुग्ध का दोहन मशीन से हो रहा है। लेकिन, उपभोक्ताओं तक दुग्ध पहुंचाने और पशुधन से जुड़ा काम संभालने के लिए पांच जनों को रखा हुआ है। मासिक रूप से 60-65 हजार रूपए इनकों तनख्वा दें रहा हॅॅू। 
स्टोरी इनपुट: संदीप कुमार सेन, वरि. कृषि पर्यवेक्षक, 9 एमएल, श्रीगंगानगर


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