ढलती उम्र में अपनाएं नवाचार, तीन गुना तक बढ़ी आय
(सभी तस्वीरें- हलधर)जो पहले परम्परागत फसलों का उत्पादन लेते थे। लेकिन, अब संरक्षित और परम्परागत खेती से आमदनी का नया रिकॉर्ड बनाने में लगे है। किसान केसरीलाल की माने तो संरक्षित खेती से जुडऩे के बाद सालाना आमदनी का आंकड़ा 10 लाख से ऊपर पहुंच चुका है। वहीं, पानी के साथ-साथ विघुत खर्च में भी कमी देखने को मिल रही है। उनका कहना है कि दो साल बाद आय के आंकडे में और बढौत्तरी होगी। क्योंकि, संतरा के बगीचे भी आय मिलना शुरू हो जायेगी। मोबाइल- 99838-03081
बालूहेड़ा, कोटा। मुश्किलों के दौर में जीवन पग-पग बिखरने का नाम नहीं। हिम्मत और हौंसला रखिए। वक्त बदलता जरूर है। लेकिन, वक्त बदलने के लिए सतत मेहनत और सूझ-बूझ भी जरूरी है। यकीन नहीं है तो मिलिए किसान केसरीलाल नागर से। जो ढलती उम्र में आधुनिक खेती को अपनाकर पहले से ज्यादा आमदनी ले रहे है। साथ ही, खेतों में जल-विघुत बचत के साथ कृषि नवाचारों को भी बढ़ावा दे रहे है। इससे आय का आंकड़ा 10 लाख रूपए से भी ऊपर निकल चुका है। किसान केसरीलाल ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 20 बीघा जमीन है। पहले खेती से आमदनी का आंकड़ा काफी कम था। लेकिन, संरक्षित खेती से जुडऩे के बाद आय का आंकड़ा तीन गुना तक बढ़ा है। जिस साल बाजार भाव अच्छे मिलते है, मुनाफे का आंकड़ा बढ़ जाता है। वरना, थोड़ा कम रह जाता है। उन्होंने बताया कि 5वीं पास करने के साथ ही पढ़ाई छोड़ दी। होश संभालने के बाद से खेती कर रहा हॅू। लेकिन, खेती से आमदनी का स्वाद अब चखने को मिल रहा है। यह मेरे पढे-लिखे बेटे की सोच और मेहनत का परिणाम है कि खेतों में पॉली हाउस के साथ फार्मपौंड, सोलर पंप संयंत्र लगा है। उन्होंने बताया कि संरक्षित खेती से मिल रहे मुनाफे से ही धीरे-धीरे खेती में नवाचारों का दायरा बढ़ रहा है। उन्होने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास ट्यूबवैल है। लेकिन, संरक्षित खेती के लिए फार्मपौंड खुदवाया है। वहीं, विद्युत बचत के लिए सोलर संयंत्र लगाया है। उन्होने बताया कि पहले खेती के इस रकबे से ढ़ाई से तीन लाख रूपए की बचत मिलती थी। लेकिन, अब छोटी सी जगह से तीन गुना से ज्यादा आमदनी मिल रही है। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों में चना, सरसों, गेहूं, सोयाबीन और धान का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों से सालाना दो से ढ़ाई लाख रूपए की आमदनी मिल जाती है।
साल मे दो बार खीरा
उन्होंने बताया कि 4 हजा वर्ग मीटर क्षेत्र में एक साल पहले पॉली हाउस लगाया है। साथ ही, फार्मपौंड खुदवाया है। उन्होंने बताया कि पॉली हाउस में खीरे की दो फसल का उत्पादन लेता हॅू। इससे सालाना 10 लाख रूपए तक आय मिल रही है।
आधा हैक्टयर में संतरा
उन्होंने बताया कि पॉली हाउस के साथ ही आधा हैक्टयर क्षेत्र में संतरे का बगीचा स्थापित किया है। पौधें एक साल के हो चुके है। उन्होंने बताया कि दो साल बाद बगीचे से फलों का शुरूआती उत्पादन मिलना शुरू हो जायेगा। इससे आमदनी के आंकडे में और इजाफा होगा।
उन्नत पशुपालन
उन्होने बताया कि पशुधन में मेरे पास 2 भैंस है। प्रतिदिन 8-10 लीटर दुग्ध का उत्पादन होता है। दुग्ध का उपयोग घर में हो जाता है। वहीं, पशु अपशिष्ट से कम्पोस्ट खाद तैयार करके उपयोग कर रहा हॅू।
स्टोरी इनपुट: एनबी मालव, उपनिदेशक उद्यान, कोटा