हाईटेक से निकली समृद्धि की धार, आमदनी 13 लाख पार (सभी तस्वीरें- हलधर)
कुराडिय़ा खुर्द, कोटा। साल दर साल सोयाबीन और धान की कमजोर होती फसल ने हाड़ौती संभाग के किसानों को भी कुछ नया सोचने को मजबूर कर दिया है। शायद, यही कारण है कि अब यहां के किसान भी खेती में नवाचार अपना रहे है। ऐसे ही किसान है शिव प्रकाश नागर, जिन्होंने हाइटेक खेती के साथ-साथ मैदानी सब्जी फसलों में सफलता की नई इबारत लिखी है। इससे खेती से सालाना आय का आंकड़ा बढ़कर 13-14 लाख रूपए के करीब पहुंच चुका है। जबकि, पहले दो से ढ़ाई लाख रूपए की आमदनी मिलती थी। किसान शिव प्रकाश ने हलधर टाइम्स को बताया कि मेरे पास 30 बीघा जमीन है। इस पर पढ़ाई छोडने के बाद से खेती करता आ रहा हॅू। उन्होने बताया कि वर्ष 2018 से पहले तक परम्परागत फसल उत्पादन तक सीमित रहा। इसी बीच मुझे कृ षक भ्रमण कार्यक्रम में शामिल होने का अवसर मिला। भ्रमण के दौरान प्रदेश के कई संस्थानों और प्रगतिशील किसानों के खेतों और खेती के आधुनिक तौर-तरीकों को देखने का अवसर मिला। यही से जीवन को नया उद्धेश्य मिला। भ्रमण से लौटकर उद्यान विभाग में पॉली हाउस स्थापना के लिए आवेदन किया और वर्ष 2018 में चार हजार वर्ग मीटर क्षेत्र का पॉलीहाउस बनकर तैयार हो गया। इससे अच्छा लाभ मिलने लगा। उन्होने बताया कि पॉली हाउस से मिल रही आय को देखते हुए अब दो हजार वर्गमीटर क्षेत्र में नया नेट हाउस बनाया है। जिसमें आगामी सीजन में फसल की बुवाई करूंगा। उन्होने बताया कि वैसे तो पॉली हाउस में सालाना दो फसल का उत्पादन लेता हॅू। लेकिन, खीरे के बाजार भाव तेज रहने की स्थिति में तीन फसल का भी उत्पादन कर लेता हॅू। पॉली हाउस से औसतन 6-7 लाख रूपए की बचत मिल जाती है।
परम्परागत से ढ़ाई लाख
उन्होने बताया कि परम्परागत फसलों में सोयाबीन, धान, गेहूं, चना, सरसों आदि फसलो का उत्पादन लेता हॅू। इन फसलों के उत्पादन स्तर में आ रही गिरावट को देखते हुए ही मैने हाईटेक खेती की ओर कदम बढ़ाएं है। उन्होने बताया कि सिंचाई के लिए मेरे पास ट्यूबवैल है। परम्परागत फसलों से सालाना ढ़ाई लाख रूपए की बचत मिल जाती है।
जायद सब्जी फसलों से अच्छा लाभ
उन्होंने बताया कि हाईटेक खेती में सफलता के बाद क्षेत्र के किसानों को देखते हुए जायद में सब्जी फसलों का उत्पादन लेना शुरू किया। इससे भी अच्छा लाभ मिल रहा है। उन्होने बताया कि दो बीघा क्षेत्र में तरबूज, खरबूज, ककडी, ग्वार आदि फसल की बुवाई करता हॅू। इससे प्रति बीघा डेढ़ लाख रूपए तक आमदनी मिल जाती है।
स्ट्रॉबेरी के साथ स्वीटकॉर्न
उन्होने बताया कि सर्दी के मौसम में स्ट्राबेरी और बरसात में स्वीटकॉर्न की बुवाई कर देता हॅू। स्वीटकॉर्न के उत्पादन से 40-45 हजार रूपए प्रति बीघा जबकि, बीघा भर की स्ट्रॉबेरी से डेढ़ लाख रूपए से ज्यादा की आमदनी मिल जाती है। इसके अलावा टमाटर, लहसुन और प्याज की बुवाई भी करता हॅू। पॉली हाउस के साथ सब्जी फसलों में ड्रिप और मल्चिंग का उपयोग कर रहा हॅू।
उन्नत पशुपालन
उन्होने बताया कि पशुधन में मेरे पास 2 गिर गाय और 4 भैंस है। प्रतिदिन 12-15 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा है। उत्पादित दुग्ध की खपत गांव में ही हो जाती है। इससे मासिक 8-10 हजार रूपए की बचत मिल जाती है। वहीं, पशु अपशिष्ट से कम्पोस्ट खाद तैयार करके उपयोग ले रहा हॅू।
स्टोरी इनपुट: नंदबिहारी मालव, उपनिदेशक उद्यान, बारां