पशुधन से खेती सरसब्ज, सालाना आय 6 लाख- प्रगतिशील किसान जितेन्द्र पाटीदार (सभी तस्वीरें- हलधर)
प्रगतिशील किसान जितेन्द्र पाटीदार का कहना हैं कि जमीन का रकबा कम होने के कारण मैने स्नातक के बाद खेती की बजाए पशुधन को व्यवसाय के तौर पर संचालित करना शुरू किया। जमा पूंजी कुछ नहीं थी। बैंक से ऋण लिया। लेकिन, अब खुश हॅू। दूध के व्यवसाय से घर बैठे 40 हजार रूपए की बचत मिलने लगी है। पशुधन की संख्या में भी इजाफा हुआ है। बता दें कि जितेन्द्र को पशुपालन से जुड़े हुए ढ़ाई साल का समय हुआ है। लेकिन, लगन और मेहनत से अपना नया मुकाम बनाने में सफल रहा है। मोबाइल 9672502659
धानवा, केकड़ी। जिस दिन से चला हूं मेरी मंजिल पे नजर है, आंखों ने कभी मील का पत्थर नहीं देखा। इन्हीं पंक्ति को जीवन का ध्येय बनाकर पशुपालन को व्यवसाय बनाया है प्रगतिशील किसान हेमराज सिंह राठौड़ ने। हेमराज का कहना है कि पहले सिंचाई की समस्या होने के चलते खेतों से ज्यादा आमदनी नहीं मिलती थी। लेकिन, पशुपालन से मिली आमदनी से खेती को भी सरसब्ज बना दिया है। गौरतलब है कि किसान हेमराज को अब नींबू के बगीचे से भी आय मिलना शुरू हो गई है। वहीं, पशुपालन से 30-32 हजार रूपए प्रतिमाह की बचत देखने को मिल रही है। किसान हेमराज ने हलधर टाइम्स को बताया कि 12वीं पास के बाद खेती से जुड़ गया। उस समय सिंचाई की समस्या ज्यादा थी। इस कारण खेती से सालाना आमदनी का 5-6 हजार रूपए प्रति बीघा तक सिमटा रहता था। इस स्थिति को देखते हुए पशुपालन का व्यवसाय का रूप दिया। उन्नत नस्ल के गाय-भैंस की खरीद की। बाद में बकरीपालन से भी जुड़ गया। उन्होंने बताया कि पशुधन से मिली आय से मैने खेती से सरसब्ज करना शुरू किया। दो फार्मपौंड खुदवाएं। साथ ही, गांव के समीप बांध का पानी भी सिंचाई के लिए मिलने लगा। इस तरह अब 40 बीघा जमीन में खेती कर रहा हॅू। करीब 15 बीघा जमीन पशुओं की चराई के लिए छोड़ी हुई है। उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों में मूंग, ज्वार, बाजरा, गेहूं, लहसुन-प्याज का उत्पादन लेता हॅू। पर्याप्त सिंचाई मिलने से प्रति बीघा आय का आंकड़ा बढ़कर 10 हजार रूपए हो चुका है। इस तरह सालाना तीन से सवा तीन लाख रूपए की आमदनी मिल रही है।
4 बीघा में नींबू का बगीचा
उन्होंने बताया कि क्षेत्र के एक कृषि जानकार के मार्गदर्शन में तीन साल पहले 4 बीघा क्षेत्र में नींबू का बगीचा स्थापित किया है। इस साल बगीचे से उत्पादन मिलने लगा है। वर्तमान में 40-45 रूपए प्रति किलो के थोक भाव से नींबू की बिक्री हो रही है। एक पौधें पर 10-15 किलोग्राम नींबू लगे हुए है। इस कारण सटीक बचत का आंकड़ा निकालना अभी मुश्किल है। लेकिन, एक अनुमान के तहत दो लाख रूपए की बचत बगीचे से मिल सकती है।
हजारों में आय
उन्होनें बताया कि मेरे पास पशुधन में 8 भैंस और दो गाय और 10 बकरी है। प्रतिदिन 50 लीटर दुग्ध का उत्पादन मिल रहा है। इसमें से 40 लीटर दुग्ध डेयरी को 50 के भाव से बिक्री कर रहा हॅू। प्रतिदिन दो हजार रूपए का दुग्ध बिक्री हो रहा है। इसमें से 50 फीसदी खर्च निकाल दें तो मासिक 30-32 हजार रूपए की बचत दुग्ध व्यवसाय से मिल रही है। इसके अलावा बकरीपालन से सालाना डेढ़ लाख रूपए मिल जाते है।
आवास व्यवस्था
उन्होंने बताया कि पशु के लिए दो तरह के आवास तैयार किए हुए हैं। पानी के लिए टैंक बनाया हुआ हैं। पशु के स्वास्थ्य, डि-वर्मिंग और टीकाकरण के लिए राजकीय पशु चिकित्सालय के चिकित्सक की सेवा लेता हूं।
स्टोरी इनपुट: बछराज धाकड़