स्वदेशी खाद्य से ही बेहतर स्वास्थ्य
(सभी तस्वीरें- हलधर)बिगड़ते स्वास्थ्य का एकमात्र बड़ा कारण युवाओं का विदेशी खाद्यों की तरफ आकर्षित होना है। युवा वर्ग शिक्षा करियर और जीवन शैली में तेजी से आधुनिकता की ओर बढ़ रहा है। युवाओं की खान-पान की आदतों में बड़े बदलाव देखने को मिल रहे हैं। पहले जहां घर का बना संतुलित और पोषण से भरपूर भोजन परिवार की पहली पसंद होता था। वहीं अब विदेशी खाद्य युवाओं को अपनी ओर आकर्षित कर रहा है। आधुनिकता की चमक दमक और बदलती जीवन शैली की वजह से विदेशी खाद्यों जैसे बर्गर, पिज़्ज़ा, फ्राइड फूड, कोल्ड ड्रिंक आदि की ओर बहुत अधिक आकर्षित हो रहा है और इसे अपना उच्च जीवन स्तर समझ रहा है। यह खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट और त्वरित रूप से तो उपलब्ध होते हैं। लेकिन, इनके अधिक सेवन से युवाओं के स्वास्थ्य पर अत्यधिक नकारात्मक प्रभाव पड़ रहा है। मोटापा, थायरॉइड, मधुमेह, हृदय रोग, फैटी लीवर और मानसिक तनाव जैसे लक्षण युवाओं में बहुत अधिक संख्या में देखने को मिल रहे हैं। अब समय आ गया है कि युवाओं को विदेशी खाद्यों का बहिष्कार करना चाहिए और भारतीय पारंपरिक भोजन को अपनाने के लिए कटिबंध हो जाना चाहिए। जिससे पौष्टिक भोजन घर में ही बने और घर के सभी सदस्यों को खाने को मिले। पारंपरिक भारतीय भोजन को अपनाएगा तो उसका स्वास्थ्य भी बेहतर होगा और साथ ही परिवार पर स्वास्थ्य पर होने वाले खर्च का बोझ कम होगा। स्थानीय किसानों और छोटे उद्यमियों को भी लाभ मिलेगा। विदेशी खाद्य और विदेशी जीवन शैली को त्याग कर भारतीय पारंपरिक भोजन और जीवन शैली को अपनाएं । ताकि, स्वस्थ, ऊर्जावान और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में हो सके। महिलाएं , छात्राएं, युवा और बच्चे स्वास्थ्य को नजरअंदाज कर खाद्यों के आकर्षक विज्ञापन और सस्ती योजनाओं पर ज्यादा ध्यान देते हैं। लेकिन, इनका लंबे समय तक सेवन स्वास्थ्य पर कई तरह के प्रतिकूल असर डालता है। विदेशी खाद्य पदार्थ अत्यधिक वसा और कैलोरी युक्त होते हैं। पिज़्ज़ा और बर्गर जैसे खाद्य सेहत के लिए अत्यंत हानिकारक होते हैं। इनमें सैचुरेटेड फैट अधिक होता है। जिससे शरीर में अतिरिक्त चर्बी जमा होकर मोटापे का खतरा बढ़ता है। कोल्ड ड्रिंक और पैकेज्ड फास्ट फूड में शक्कर और नमक का स्तर सामान्य से कई गुना अधिक होता है जो कि मधुमेह, ब्लड प्रेशर और किडनी संबंधी बीमारियों को जन्म देता है। विदेशी खाद्य में प्रोटीन और पोषक तत्वों की कमी होती है। विटामिन और मिनरल्स की पर्याप्त मात्रा नहीं होती है। जिसका स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ता है और युवा ऊर्जावान नहीं रह पाते हैं। पोषक तत्वों से वंचित रह जाते हैं। इन खाद्य पदार्थों का पाचन तंत्र पर बहुत विपरीत प्रभाव पड़ता है। तली हुई और अत्यधिक मसालेदार विदेशी भोजन पाचन शक्ति को कमजोर करता है लिहाजा गैस, एसिडिटी, कब्ज और ब्लोटिंग जैसी समस्याएं आए दिन शरीर को परेशान करती हैं। इन खाद्यों का मानसिक स्वास्थ्य पर भी अत्यधिक दुष्प्रभाव पड़ता है। विभिन्न शोध नतीजे बताते हैं कि जंक फूड का अत्यधिक सेवन मानसिक तनाव, चिड़चिड़ापन और अवसाद जिसे साधारण भाषा में डिप्रेशन कहते हैं जैसी समस्याओं को बढ़ा देता है। यदि हम आर्थिक दृष्टि से विचार करें तो विदेशी खाद्यों के सेवन से स्थानीय फूड सेलर को बहुत अधिक नुकसान होता है और देश का पैसा बाहर के देशों को चला जाता है। इसका सीधा असर भारत के खाद्य उद्यमियों के साथ-साथ देश के किसानों की आय पर भी पड़ता है। भारतीय भोजन विशेषताओं से भरपूर है। यह भोजन केवल स्वादिष्ट ही नहीं। बल्कि , पौष्टिक और आयुर्वेदिक दृष्टि से भी अत्यंत उपयोगी है। विभिन्न प्रकार के स्वाद और रंगों से युक्त भारतीय भोजन स्वत शरीर को हृष्ट पुष्ट रखने में सहायता करता है। भारतीय भोजन में अनाज और दालों का समावेश होता है। प्रतिदिन अनाज और दालें भोजन में शामिल की जाती है जिसके कारण शरीर को भरपूर कार्बोहाइड्रेट और प्रोटीन आसानी से मिल जाता है। हरी सब्जियां विटामिन, आयरन और फाइबर से भरपूर होती हैं। अत: नियमित रूप से इनका सेवन करने से शरीर को आवश्यक विटामिन मिल जाते हैं। भारतीय भोजन की शुरुआत ही प्रात: दूध, दही, छाछ, मक्खन से होती है जिससे शरीर को आवश्यक कैल्शियम मिल जाता है और यह खाद्य पाचन शक्ति बढ़ाने के साथ-साथ पाचन तंत्र को मजबूत रखते हैं। फल और सलाद शरीर में तरलता बनाए रखते हैं। पानी और मिनरल्स की पूर्ति करने वाले होते हैं। उल्लेखनीय है कि भारत में रसोई को भारत का लघु चिकित्सालय कहा जाता है। क्योंकि, किचन में सभी मसाले होते हैं। हल्दी, अदरक, लहसुन, काली मिर्च, गरम मसाला, लॉन्ग आदि शामिल होते हैं और यह सब औषधीय गुणों से भरपूर होते हैं। भारतीय भोजन मौसम और क्षेत्र की जरूरत के अनुसार संतुलित आहार प्रदान करता है। यही कारण है कि पारंपरिक भोजन को अपनाने वाले लोगों की रोग प्रतिरोधक क्षमता अधिक होती है। यदि हम पूर्ण रूप से अपने भोजन पर ध्यान दें तो केवल भोजन से ही हम अपने आप को लंबे समय तक स्वस्थ रख सकते हैं। विशेष रूप से यदि सोच समझकर संतुलित और पौष्टिक आहार लिया जाए तो मोटापा, मधुमेह और ब्लड प्रेशर जैसी बीमारियों से बचा जा सकता है। आए दीवाली के पावन मौके पर हम विदेशी खाद्य का बहिष्कार करें और स्वदेशी खाद्य के साथ स्वस्थ जीवन शैली की ओर कदम बढाएं।