18 महीने में गोबर से कमाएं 20 लाख
(सभी तस्वीरें- हलधर)
सूरजपोल, चित्तौडग़ढ़। 18 महीने और 20 लाख की बचत। अब सोच रहे कौनसा व्यवसाय इतनी आमदनी और दें रहा है, तो आपको बता दें कि यह है गोबर। जिसको देखकर भले ही नाक सिकुड़ जाएं। लेकिन, सच यही है। आईए आपसे रूबरू करवाते है किसान दिलीप धाकड़ से। जो वर्मी कम्पोस्ट उत्पादन से सालाना 20 लाख रूपए की बचत ले रहे है। साथ ही, 8-10 मजदूरों को वर्षभर रोजगार उपलब्ध करवा रहे है। गौरतलब है कि दिलीप ने 18 महीने पहले वर्मीकम्पोस्ट का श्रीगणेश किया था। वहीं, दिलीप सीताफल के साथ-साथ पशुपालन से भी जुड़े हुए है। किसान दिलीप ने हलधर टाइम्स को बताया कि परिवार के पास 28 बीघा जमीन है। स्नातक करने के बाद खेती से जुड़ गया। उन्होंने बताया कि पहले परम्परागत फसलों का उत्पादन लेता रहा। लेकिन, कृषि विज्ञान के न्द्र, चित्तौडग़ढ़ से जुडऩे के बाद जैविक खेती और जैविक खाद की मांग का पता चला। यही से यह बिजनेस आइडिया दिमाग में आया और घरेलू पशुधन का गोबर भी आय का बेहत्तर जरिया बन गया। उन्होंने बताया कि 150 बेड़ के साथ वर्मी कम्पोस्ट का उत्पादन करना शुरू किया। करीब दो बीघा क्षेत्र में वर्मी कम्पोस्ट यूनिट स्थापित है। सालाना 10 हजार बैग (एक बैग 40 किलो) वर्मी खाद का उत्पादन हो रहा है। उन्होने बतााय कि इस यूनिट से मेरे साथ-साथ आठ कृषि मजदूरों को वर्षभर का रोजगार उपलब्ध हो रहा है। साथ ही, सारा खर्च निकाल कर 20 लाख रूपए की शुद्ध बचत मिल रही है।

5 बीघा में सीताफल बगीचा
उन्होंने बताया कि 5 बीघा क्षेत्र में सीताफल का बगीचा स्थापित किया हुआ है। यह बगीचा तीन साल का हो चुका है। इस साल शुरूआती उत्पादन मिला है। इससे थोड़ी बहुत आय मिली है।
परम्परागत से 5 लाख
उन्होंने बताया कि परम्परागत फसलों में गेहूं,मक्का, सरसों, मूंगफली, उड़द और मूंग का उत्पादन लेता हॅॅू। वहीं, सष्टजी फसल में प्याज, लहसुन, मिर्च, भिंडी की खेती करता हॅू। इन फसलों से 5 लाख रूपए की बचत मिल जाती है।

स्टोरी इनपुट: डॉ. आरएल सोंलकी, केवीके, चित्तौडग़