पीएम मोदी को लिखा पत्र, उठाई किसानों की ये मांगें

नई दिल्ली 19-Nov-2025 04:00 PM

पीएम मोदी को लिखा पत्र, उठाई किसानों की ये मांगें

(सभी तस्वीरें- हलधर)

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट ने किसानों की विभिन्न मांगों को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखा है। पत्र में इथेनॉल उत्पादकों की भांति मक्का उत्पादक किसानों को भी उनकी उपज की न्यूनतम मूल्य की गारंटी देने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि मक्का से इथेनॉल तैयार करने वालों के लिए सरकार ने 1 लीटर इथेनॉल की 71.86 रुपए प्राप्त होने की गारंटी दी है। देश में इथेनॉल के उपयोग में आने वाली मक्का किसानों को 900 से लेकर 1800 रुपए प्रति क्विंटल बेचनी पड़ रही है, जबकि सरकार द्वारा घोषित ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ 2400 रुपए प्रति क्विंटल है। ‘कृषि लागत एवं मूल्य आयोग’ के आकलन के अनुसार, इसी मक्का का एक क्विंटल का उत्पादन खर्च 1652 रुपए है, भारत सरकार की घोषणा के अनुसार लागत से कम से कम डेढ़ गुना जोड़ने पर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का निर्धारण करने पर एक क्विंटल का मूल्य 2828 रुपए होना चाहिए। ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ संपूर्ण लागत यानी सी-2 की गणना से 428 रुपए प्रति क्विंटल कम है। 

किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष का कहना है कि कम निर्धारित मूल्य से भी लगभग आधे दामों पर किसानों को अपनी मक्का की उपज बेचनी पड़ रही है। इथेनॉल उत्पादकों की तरह मक्का उत्पादकों को न्यूनतम मूल्य की गारंटी नहीं देकर सरकार मूल उत्पादक एवं रूप परिवर्तन करने वाले उद्योगों के मध्य समानता के विपरीत भेदभाव पूर्ण नीति अपना रही है। उन्होंने कहा कि सरकार को मक्का को ‘आवश्यक वस्तु अधिनियम 1955’ के अंतर्गत आवश्यक वस्तु घोषित कर ‘मक्का नियंत्रण आदेश’ प्रसारित करना चाहिए, जिससे मक्का उत्पादक किसानों को भी उनकी उपज के न्यूनतम मूल्य प्राप्त होने की सुनिश्चितता हो सके। 

कटे घाव पर नमक छिड़कने का काम कर रही सरकार

किसान महापंचायत अध्यक्ष ने लिखा कि गन्ना उत्पादक किसानों के लिए ‘गन्ना नियंत्रण आदेश’ अस्तित्व में है तो इसी प्रकार का विधान मक्का उत्पादकों के लिए भी किया जाना जरूरी है। अभी तो सरकार मिथ्या घोषणा कर ‘कटे घाव पर नमक छिड़कने’ का काम कर रही है। क्रूड ऑयल के आयात पर निर्भरता कम करते हुए विदेशी मुद्रा बचाने तथा प्रदूषण में ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन घटाने के लिए विश्व के अनेक देशों में पेट्रोल में एथेनॉल का मिश्रण चल रहा है। भारत में वर्ष 2003 से वर्ष 2014 तक इथेनॉल की मात्रा का मिश्रण 1.50 प्रतिशत तक रहा। सरकार बदलने के उपरांत यह मात्रा बढाकर 5 से 10% कर दी गई। वर्ष 2018 में इथेनॉल के मिश्रण के संबंध में तैयार की गई नई नीति के अनुसार इथेनॉल के मिश्रण की मात्रा को वर्ष 2030 तक 20 प्रतिशत तक करने का लक्ष्य रखा गया। इसके 5 वर्ष पूर्व ही मार्च 2025 में मिश्रण का अनुपात 80:20 कर दिया गया। उस समय भारत सरकार की ओर से अन्नदाताओं को ऊर्जादाता बनाकर मालामाल करने की घोषणा की गई। इसी घोषणा में पेट्रोल के सभी उपभोक्ताओं को 55 रुपए प्रति लीटर पेट्रोल उपलब्ध कराना भी सम्मिलित था।

दोहरे मापदंड अपनाने के ​भी लगाए आरोप

इस पत्र में ये भी लिखा गया है कि मूल उत्पादक एवं रूप परिवर्तन करने वाले उद्योग जगत के लिए दोहरे मापदंड अपनाए जाते हैं। जहां एक ओर इथेनॉल के मिश्रण की नीति के अनुपात का क्रियान्वयन घोषित तिथि से 5 वर्ष पूर्व ही आरंभ कर दिया गया, दूसरी ओर 10 वर्ष व्यतीत होने के बाद भी अन्नदाता एवं उपभोक्ताओं के लिए की गई घोषणाओं की स्थिति ‘ढाक के तीन पात’ जैसी ही रहीं। इतना ही नहीं जिस मक्का की इथेनॉल बनाने में 72% तक की भागीदारी है, उस मक्का के उत्पादकों को सरकार द्वारा घोषित ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ भी प्राप्त नहीं हो रहा है। वर्ष 2025 के अक्टूबर से लेकर अब तक मक्का के बाजार दाम अधिकतम 1821 प्रति क्विंटल रहे हैं। उनका कहना है कि देश में मक्का उत्पादन में द्वितीय स्थान रखने वाले मध्य प्रदेश की नसरुल्लागंज मंडी में 1121 रुपए तथा उत्पादन में 6% की भागीदारी वाले राजस्थान की नाहरगढ़ मंडी में 1510 रुपए प्रति क्विंटल रहे हैं। अधिकांश किसान अपनी उपज मंडियों से बाहर गांव में ही विक्रय कर देते हैं, वहां तो मक्का के दाम 1100 रुपए प्रति क्विंटल से भी कम रहे हैं। इस प्रकार किसानों को अपनी मक्का घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से आधे दामों पर ही बेचनी पड़ रही है। 

मक्का किसानों को उठाना पड़ रहा भारी घाटा

किसान महापंचायत की ओर से भेजे गए पत्र में ये भी लिखा गया है कि वर्ष 2025-26 के लिए भारत सरकार के आकलन के अनुसार, एक क्विंटल मक्का की लागत 1952 रुपए हैं, भारत सरकार की घोषणा के अनुसार संपूर्ण लागत में डेढ़ गुना से अधिक लाभ जोड़कर ‘न्यूनतम समर्थन मूल्य’ का निर्धारण करने पर एक क्विंटल मक्का के दाम 2828 रुपए प्रति क्विंटल किसानों को प्राप्त होने चाहिए। इसके अनुसार तो एक क्विंटल पर 1700 रूपये से अधिक का घाटा किसानों को उठाना पड़ रहा है। वर्ष 2014-15 में मक्का उत्पादन का क्षेत्रफल 91.9 लाख हेक्टर तथा उत्पादन 241.7 लाख टन था, यह क्षेत्रफल वर्ष 2024 -25 में 120.17 लाख हेक्टर तथा उत्पादन 422.81 लाख टन हो गया। इसमें सरकारी घोषणा का योगदान भी है। 

अमेरिका से मक्का आयात पर जताई चिंता

पत्र में अमेरिका से मक्का आयात पर भी चिंता प्रकट की गई है। किसान महापंचायत अध्यक्ष ने लिखा है कि वर्ष 2023-24 में किए गए आकलन के अनुसार, मक्का उत्पादन में कर्नाटक 15.3, मध्य प्रदेश 12.4, बिहार 11.7, महाराष्ट्र 9.1, तमिलनाडु 7.9, तेलंगाना 7.2, पश्चिम बंगाल 6.8, आंध्र प्रदेश 5.9, राजस्थान 5.8, उत्तर प्रदेश 5.7, गुजरात 2.4, हिमाचल 1.9, जम्मू कश्मीर 1.6, झारखंड 1.05, पंजाब 1.01, चंडीगढ़ 1.0 भागीदारी निभाने वाले 15 राज्य हैं। वैश्विक उत्पादन में भारत की भागीदारी 3 प्रतिशत तथा अमेरिका की भागीदारी 35 फीसदी है। अमेरिका के दबाव से देश में मक्का का आयात शुरू हो जाएगा तो दलहन और तिलहन की भांति मक्का में भी देश आयात पर निर्भर हो जाएगा। उनका कहना है कि इस आहट से ही मक्का में न्यूनतम समर्थन मूल्य से 600 रुपए प्रति क्विंटल की गिरावट बाजार में आईं।

हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के ओर

किसान महापंचायत ने लिखा है कि किसी भी किसान को घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य से कम दामों पर अपनी उपज बेचने के लिए विवश नहीं होने देने संबंधी वक्तव्य, अनेकों बार संसद में भारत सरकार द्वारा दिए गए हैं। मूल उत्पादकों के साथ भेदभाव पूर्ण व्यवहार के कारण घोषणाए एवं धरातलीय स्थिति ‘हाथी के दांत खाने के ओर दिखाने के ओर’ जैसे हैं। देश में एक वर्ष में इथेनॉल निर्माण की क्षमता 1900 करोड़ लीटर है, जिसमें 779 से अधिक औद्योगिक इकाईया कार्यरत हैं, जिनमें कई परिवारों ने एक से अधिक इकाईया बना रखी है। 01 नवंबर से 31 अक्टूबर तक 1 वर्ष के लिए 1048 करोड़ लीटर खरीद की प्रक्रिया पूर्ण की गई। इसमें 228.52 करोड़ लीटर गन्ना से तथा 759.75 करोड़ लीटर एथेनॉल मक्का से तैयार किया जाएगा। डिस्टलरीज की ओर से 1776 करोड़ लीटर बिक्री का प्रस्ताव दिया गया था। सरकार की ये नीतियां इथेनॉल के पक्ष में धन वर्षा का संकेत है। 

किसान कल्याण के नाम पर कृपा पात्र धनपतियों को लाभान्वित करने वाली सरकार ने इथेनॉल के दाम 71.86 रुपये प्रति लीटर सुनिश्चित किए हुए हैं, जिसकी गणना का आधार मक्का का न्यूनतम समर्थन मूल्य 2400 रुपए प्रति क्विंटल है। मक्का के अधिकतम 1821 रुपए प्रति क्विंटल के अनुसार तो एथेनॉल का प्रति लीटर मूल्य 54.52 रुपए होना चाहिए। मक्का उत्पादकों के लिए तो सरकार ने घोषित न्यूनतम समर्थन मूल्य की प्राप्ति की व्यवस्था नहीं की है। जबकि गन्ना की भांति मक्का को भी आवश्यक वस्तु अधिनियम के अंतर्गत आवश्यक वस्तु के रूप में आधिसूचित कर गन्ना नियंत्रण आदेश की भांति मक्का नियंत्रण आदेश प्रसारित कर उसके उत्पादकों को मूल्य की सुनिश्चितता का प्रबंध किया जा सकता है। इसी प्रकार चावल से बनने वाले इथेनॉल के संबंध में भी चावल उत्पादक किसानों के लिए सुनिश्चित मूल्य की व्यवस्था की जा सकती है। यह तभी संभव है जब सरकार चंदादाताओं की भांति ‘अन्नदाताओं’ को भी प्राथमिकता प्रदान करें। यह जन-कल्याणकारी सरकारों का संवैधानिक दायित्व होने के साथ ही पवित्र धर्म भी है।

एथेनॉल मिश्रण पर कही ये बात

किसान महापंचायत द्वारा प्रधानमंत्री को भेजे गए पत्र में यह भी उल्लेख किया गया है कि एथेनॉल निर्माता कंपनियों की ओर से ब्राजील की भांति मिश्रण का अनुपात 73:27 करने के लिए सरकार से आग्रह शुरू कर दिया है। वे यह भूल जाते है कि ब्राजील में इस मिश्रण के अनुपात तक पहुचने में 50 वर्ष का समय बीता है। एथेनॉल मिश्रण रहित पेट्रोल का विकल्प दिए बिना ही उपभोक्ताओं को बाध्य नही किया गया। वाहन निर्माताओं, वाहनों की रचना, बीमा कंपनियों को बीमा की शर्ते निश्चित करने के लिए भी पर्याप्त एवं युक्तिसंगत अवसर दिया गया था। अभी तो वाहनों की टूट-फूट एवं गति, चालन का स्वभाव, टायरों की घिसाई एवं अलाइनमेंट की संदिग्धता चर्चा में है। किसान महापंचायत अध्यक्ष रामपाल जाट द्वारा इस पत्र की प्रतियां केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और पेट्रोलियम मंत्री हरदीप सिंह पुरी को भी भेजी गई है।

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