पशुओं को सर्दी से बचाना है तो जरूर करें ये 7 काम
(सभी तस्वीरें- हलधर)देशभर में मानसून सीजन में अच्छी बरसात होने से इस बार सर्दी समय से पहले ही शुरू हो गई थी। आधा नवंबर बीतने के बाद अब ज्यादातर राज्यों में तापमान तेजी से गिर रहा है और ठंड सितम ढहाने लगी है। कई राज्यों में ठंड के साथ ही शीतलहर भी चल रही है।उत्तर से आने वाली बर्फीली हवाओं के चलने से इंसान तो परेशान हैं ही, साथ ही पशुओं को भी इस प्रकोप का सामना करना पड़ रहा है। ख़ासकर पशुओं के लिए ठंडी हवाएं कई वजह से हानिकारक होती है। बढ़ती सर्दी का असर इंसानों के साथ ही पशुओं पर भी होने लगा है। शीतलहर और बढ़ती ठंड से पशुओं को बचाने के लिए पशुपालकों को इनकी अच्छी तरह से देखभाल करनी चाहिए। ठंड लगने पर दूध देने वाले पशु दूध देना कम या बंद कर सकते हैं। ऐसे में जानिए पशुओं को ठंड से बचाने के कुछ जरूरी उपाय...
ठंड से बीमारियों की बढ़ जाती है संभावना
पशु विशेषज्ञों का कहना है कि अधिक सर्दी पड़ने की स्थिति में पशुओं को ठंड लगने की संभावना भी काफी हद तक बढ़ जाती है। ठंड लगने से मवेशियों को कई बीमारियां हो सकती हैं। ठंड लगने से पशुओं का पेट भी खराब हो सकता है और इससे वे कमजोर हो सकते हैं। अगर आप पशुपालक हैं और आपके पशुओं में इस प्रकार के लक्षण दिखाई दे रहे हैं, आपको तुरंत सावधान होने और पशु को प्राथमिक उपचार की जरूरत है। अपने मवेशी का किसी अनुभवी पशु चिकित्सक से इलाज करवाएं, क्योंकि अनुभवी पशु चिकित्सक अपने अनुभव के आधार पर पशु में संबंधित बीमारी के लक्षणों को आसानी से भांप लेता है और उसके अनुसार ही दवाई व उपाय सुझाता है।
मवेशियों को ठंड से बचाने के लिए करें ये उपाय
1. सबसे पहले सर्दी बढ़ने की शुरुआत के साथ ही पशुओं को ठंड से बचाने के लिए सुबह-शाम जूट से बने बोरे ओढ़ाने चाहिए। साथ ही जिस जगह या बाड़े में पशुओं को बांधा जाता है, उस जगह पर आग जलाकर भी उसे गर्म रखा जा सकता है।
2. अक्सर पशुओं की सबसे अधिक मौत ठंड के मौसम में होती है। इसलिए पशुओं को सर्दी से बचाने के लिए, जहां पशु बांधे जाते हैं उस जगह पुआल बिछा सकते हैं। पुआल की वजह से वो जगह गर्म बनी रहती है और पशुओं को सर्दी कम लगती है।
3. कड़ाके की ठंड में इस बात का ध्यान रखें कि पशुओं को ओढ़ाए जाने वाले जूट के बोरे सूखे हो और नीचे बिछाने वाली पुआल गीली न हो।
4. ठंड में पशुओं को संतुलित आहार के साथ पोषक तत्व खिलाएं। इसके साथ ही नियमित नमक और गुड़ का घोल बनाकर भी पिलाएं।
5. सर्दियों के दिनों में मवेशियों को अधिक बरसीम (एक प्रकार का हरा चारा) खिलाने से उन्हें अफरा रोग की संभावना बढ़ जाती है। ऐसे में अफरे से बचाव के लिए पशुओं को बरसीम में सूखा चारा मिलाकर ही खिलाएं।
6. ठंड में दुधारू पशुओं को थनैला रोग से बचाने के लिए पूरा दूध निकालें और दूध दोहने के बाद थनों को कीटनाशक घोल से धो दें। इससे मवेशियों में थनैला रोग होने का खतरा नहीं रहेगा।
7. अगर आपके पशुओं में सर्दी के कुछ लक्षण दिखाई दें तो अपने क्षेत्र के पशु चिकित्सालय में पशु-चिकित्सकों से संपर्क कर समय पर उचित उपचार कराएं।
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