एमएल शर्मा बना ग्लोबल सितारा
दौसा जिले के बिहारीपुरा के साथ पूरे भारत का नाम किया रोशन एमएल शर्मा बना ग्लोबल सितारा सरकारी नौकरी छोड़ी, पढ़ाई की, फिर बना विश्व की टॉप टैन कंपनी में ग्रुप एमड़ी....
त्राहिमाम सरकार, त्राहिमाम सरकार
मै भी किसान हूँ, किसान का बेटा हूँ, हाथों से खेती की है... मुख्यमंत्री भजनलाल ने यह बात विधानसभा में कही थी। कुछ यही पंक्तियाँ उन्होंने कायड़-अजमेर के किसान सम्मलेन में भी दोहराई। बार-बार यह बात दोहराने से किसान का भला तो नहीं हो जायेगा...? किसानों के आर्थिक उत्थान के लिए सरकार को अपना चश्मा बदलने की जरूरत यहां दिखाई देती है। क्योंकि, खुद को किसान पुत्र कहना तो आसान है।
प्याज अब किसानों के निकालने लगा आंसू
अलवर। पिछले दिनों तेजी के बाद अब प्याज के भाव किसानों के आंसू निकाल रहे हैं। अलवर मंडी में रोजाना 40 हजार कट्टे प्याज की आवक हो रही है। जबकि, किसानों को थोक भाव में 20 से 35 रुपए प्रति किलो के हिसाब से मिलने लगे है। जानकारी के अनुसार अच्छी क्वालिटी और बड़े साइज वाले प्याज के भाव 25 से 35 रुपए प्रति किलो रहे।
पूजा-अर्चना के बाद गन्ने की पिराई शुरू
कपास में नुकसान से बढ़ा गन्ने का बुवाई क्षेत्र श्रीगंगानगर। कमीनपुरा स्थित नई शुगर मिल में पूजा-अर्चना के साथ गन्ना पिराई शुरू हो गई है। इस बार गन्ना उत्पादन बढकर 34 लाख क्विंटल तक पहुंच सकता है। गन्ने की बुवाई इस वर्ष 7,000 हजार बीघा से बढकर 19,000 बीघा क्षेत्रफल में हुई थी।
एलोवेरा उन पौधों में से है जिन्हें बढऩे के लिए अधिक देखभाल और रखरखाव की आवश्यकता नहीं होती है।
करी पत्ते के पौधे को कम से कम 5 घंटे की धूप और 20-24 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है
धनिया उगाने के लिए आपको न्यूनतम 4 इंच की गहराई और चौड़ी सतह वाले गमले की आवश्यकता होती है।
हल्दी की खेती
पाठक। 5 बीघा क्षेत्र में हल्दी की खेती की है। फसल तैयार हो चुकी है। इसकी प्रसंस्करण विधि के बारे में जानकारी देवें। रूपाराम, चित्तौडग़ढ़
अनार की फसल में सफेद मक्खी
पाठक। अनार की फसल में सफेद मक्खी की पहचान कैसे करते है? विस्तार से जानकारी देवें। दानाराम चौधरी, बीकानेर
रसचूसक कीट नियंत्रण
पाठक। सब्जी फसल में रसचूसक कीट नियंत्रण के लिए कौनसी दवा सर्वाधिक प्रचलित हैं। प्रचलित दवा की उपयोग दर के बारे में बतावें। मदनलाल कुम्हार, चौमूं, जयपुर
सहकार अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा का हिस्सा
सहकारिता एक ऐसी व्यवस्था है, जो समाज में आर्थिक रूप से आकांक्षी लोगों को न सिर्फ समृद्ध बनाती है, बल्कि उन्हें अर्थव्यवस्था की व्यापक मुख्यधारा का हिस्सा भी बनाती है। सहकारिता बिना पूंजी अथवा कम पूंजी वाले लोगों को समृद्ध बनाने का एक बहुत बड़ा साधन है। सहकारिता के माध्यम से भारत इन लक्ष्यों को पूरा करने की दिशा में निरंतर आगे बढ रहा है।
मार्डन फूड कल्चर बनाम स्वास्थ्य
भारत में सदैव बाज़ार में बने खाने की अपेक्षा घर में तैयार भोजन को प्राथमिकता दी जाती रही है। लेकिन , व्यस्त जीवनशैली के चलते आजकल लोग पैक्ड फूड को प्राथमिकता देने लगे हैं।
जलती पराली, सुलगते सवाल
हरियाणा सरकार द्वारा किसानों पर पराली जलाने के लिए की जा रही कड़ी कार्रवाई ने देशभर के किसानों में में गहरी नाराजगी और चिंता पैदा कर दी है। हाल ही में, 13 किसानों की गिरफ्तारी, रेड एंट्री जैसे कदम, और किसानों की फसल मंडियों में न बेचने देने के तुगलकी आदेशों ने किसानों में आक्रोश भर दिया है।
अफीम में काली मस्सी
यह रोग फफूंद जनित है और अफीम का मुख्य रोग है। सर्वप्रथम बीज से आता है। इस रोग का प्रकोप पौध अवस्था से डोडा आने तक होता है।
गोभीवर्गीय सब्जियों में तना सडऩ (स्टाक रॉट)
रोग की प्रारंभिक अवस्था में दिन के समय पौधे की पत्तियां लटक जाती हैं। परन्तु रात्रि में पुन: स्वस्थ दिखाई देती हैं।
अदरक में पीलिया रोग
रोग का प्रकोप होने पर निचली सतह की पत्ती किनारें से पीली पडऩी शुरू होती हैं। बाद में यह पीलापन सभी पत्ती में फैल जाता हैं, पौधा सूख जाता हैं।
बकरीपाल से आजीविका
बकरी पालन एक ऐसा व्यवसाय है जिसे कम लागत, कम पूँजी और अपेक्षाकृत कम जगह में किया जा सकता है। यह किसान को आर्थिक रूप से सुदृढ़ और शारीरिक रूप से स्वस्थ बनाने में अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
स्वस्थ पशु से ज्यादा दुग्ध उत्पादन
दुधारू पशुओं में अनेक कारणों से बहुत सी बीमारियां होती है। सूक्ष्म विषाणु, जीवाणु, फफूंदी, अंत: व बाह्य परजीवी, प्रोटोजोआ, $कुपोषण तथा शरीर के अंदर की चयापचय (मेटाबोलिज्म) क्रिया में विकार आदि प्रमुख कारणों में है। इन बीमारियों में बहुत सी जानलेवा बीमारियां है।
राज्यपशु ऊँट का वैज्ञानिक ढग़ से प्रबंधन
ऊंट प्रजाति मरुस्थलीय और शुष्क क्षेत्रों में पाया जाने वाला बहुपयोगी पशुधन है। पिछले दो दशकों में ऊंटनी के दूध के औषधीय मूल्यों के कारण दूध उपयोग में वृद्धि और दिलचस्पी बढ़ती देखी गई है। ऊंटनी का दूध पीलिया, यकृत, पेट अलसर और बवासीर इत्यादि बीमारियों में उपयोगी बताया जाता है।
जीवन शक्ति बढाता है मोटा अनाज
नई दिल्ली। भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों ने ककड़ी की नई किस्म तैयार की है। हालांकि, नई किस्म का अनुमोदन होना शेष है। लेकिन, संस्थान के वैज्ञानिकों ने अपना शोध पूरा कर लिया है।
अत्यधिक गर्मी में पक्षियों के संरक्षण के लिए स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय परिसर में परिंडा और चुग्गा पात्र बांधने का अभियान शुरू किया गया।
पारितोषिक वितरण के साथ वार्षिक महोत्सव लहर सम्पन्न मात्स्यकी महाविद्यालय में हुआ आयोजित
प्रदेश में स्थापित होंगी 5 हजार वर्मी कम्पोस्ट इकाईयां
गर्मी के मौसम में पशु के बीमार होने की आशंका बढ़ जाती है। लेकिन, यदि देखरेख और खान-पान संबंधी कुछ बुनियादी बातों का ध्यान रखा जाए तो गर्मी में पशु को बीमार होने से बचाया जा सकता है। साथी ही, अगली ब्यांत में अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है।
पशुपालन कृषि विज्ञान की वह शाखा है जिसके अंतर्गत पालतू पशुओं के विभिन्न पक्ष जैसे भोजन, आश्रय, स्वास्थ्य, प्रजनन आदि का अध्ययन किया जाता है।
केन्द्र ने घोषित किया रबी फसलों का एमएसपी
नई दिल्ली। केंद्रीय मंत्रिमंडल ने रबी सीजन 2025-26 के लिए प्रमुख फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में बढ़ोतरी को मंजूरी दी है। गेहूं का एमएसपी 2275 रुपये प्रति क्विंटल से 150 रुपये बढ़ाकर 2425 रुपये प्रति क्विंटल तय किया गया है।
कृषि मंडियों में बढ़ी खरीफ जिंसो की आवक
जयपुर। इस साल अच्छी बरसात के कारण खेतों में फसलों में कुछ जगह खराबा हुआ। इसके बावजूद उड़द और कपास की अच्छी आवक हो रही है।
कपास, बाजरा, उड़द की आवक शुरू
जयपुर। कई माह की कारोबारी सुस्ती के बाद अब प्रदेश की कृषि उपज मंडियों में नए बाजरे, कपास और उड़द की आवक शुरू हो गई है।
पशु आहार में खनिज लवणों का महत्व
पशुओ के आहार में सभी तत्वों की उचित मात्रा का होना उनके स्वास्थ्य और उत्पादन में विशेष योगदान देता है। यह सभी तत्व शरीर की विभिन्न क्रियाओ को नियंत्रित करते है। पशुओ के आहार में कार्बोहाईड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन के साथ-साथ खनिज लवणों का विशेष महत्व होता है ।
पशुओं में खनिज तत्वों की कमी से संभावित रोग
डॉ. राजेश नेहरा, पशु पोषण विभाग, पशु विज्ञान महाविद्याालय, राजुवास, बीकानेर डेयरी के व्यवसाय से अधिक लाभ लेने के लिए खनिज लवण पशुओं की खुराक में उतना ही आवश्यक है। जितना पशुओं की खुराक में हरा चारा और दाना। पशु आहार में इन सब खनिज तत्वों की मात्रा पर्याप्त होने के साथ-साथ इनका अनुपात भी सही होना चाहिए।
घोड़ों के लिए पोषण और आहार प्रबंधन
घोड़ों के स्वस्थ विकास, कार्यक्षमता और दीर्घायु के लिए सही पोषण और आहार प्रबंधन अत्यधिक महत्वपूर्ण है। घोड़ों की शारीरिक संरचना और पाचन तंत्र विशेष प्रकार के आहार की मांग करते हैं, जो उनकी प्राकृतिक खाने की आदतों के अनुसार होता है।
सब्जी उत्पादन से आय ढ़ाई लाख
तकनीक आधारित सब्जी उत्पादन से खेती की सकल आमदनी को बढ़ाया जा सकता है। यह कहना है महिला कृषक भूरी देवी का। भूरी देवी पहले परम्परागत फसल उत्पादन तक सीमित थी ।
ट्रक ड्राइवर बना सब्जी उत्पादक
ट्रक ड्राइवर से किसान बनने की यह कहानी है ताजाराम कड़वासरा की। जो अब सब्जी उत्पादन के जरिए कृषिगत आय बढौत्तरी में जुटे हुए है। उनका कहना है कि क्षेत्र के किसानों को देखते हुए सब्जी उत्पादन से जुड़ा हूॅॅ।
सवा बीघा से कमाएं साढे सात लाख
तकनीक आधारित नवाचार करके किसान अपनी आमदनी को बढ़ा सकते है। यकीन नहीं है तो मिलिए महिला कृषक इंद्रा मेघवाल से। जिन्होंने सवा बीघा जमीन से साढ़े सात लाख रूपए का शुद्ध मुनाफा प्राप्त किया है।
पारा लुढकने के साथ रबी पर जमीं बर्फ
जयपुर। प्रदेश के कई जिलों में रात का पारा लुढ़कने के साथ ही फसलों पर बर्फ की चादर उकरने लगी है। इससे किसानों की चिंता बढ़ गई है। किसानों का का कहना है कि इस साल पौधों पर समय से पूर्व बर्फ की चादर जमना शुरू हो गई है।
कीट-रोग से बचाएं खीरा
जयपुर, जोधपुर, बीकानेर, दौसा, भरतपुर, कोटा, चित्तौडग़ढ़, उदयपुर, राजसंमद सहित दूसरें जिलों में किसान ग्रीनहाउस, शेडनेट हाउस में खीरे का उत्पादन ले रहे हैं।
मांग से कम मिला प्रदेश को डीएपी, 10 दिन का बचा स्टॉक
डीएपी की मांग और आपूर्ति का बढ़ रहा अन्तर जयपुर। सरकार भले की पर्याप्त मात्रा में उर्वरक उपलब्धता का दावा कर रही है। लेकिन, डीएपी की मांग और आपूर्ति का अंतर समय के साथ गहराता जा रहा है। इससे किसानों के सामने बड़ा संकट खड़ा होता नजर आ रहा है। कृषि विभाग इसके पीछे बड़ा कारण आयात कम होने को बता रहा है।
अक्षय ऊर्जा: आज की आवश्कता
ऊर्जा आधुनिक जीवन शैली का अविभाज्य अंग है। ऊर्जा का पर्यावरण से सीधा सम्बन्ध है। ऊर्जा के परम्परागत साधन (कोयला, गैस, पेट्रोलियम आदि) सीमित मात्रा में होने के साथ-साथ पर्यावरण के लिए बहुत हानिकारक हैं। आपको बता दें कि भारत अभी भी अपनी कुल ऊर्जा का 40 प्रतिशत परम्परागत ईंधन के रूप में इस्तेमाल करता है।
मिट्टी में पोषक तत्व और जैविक सामग्री का वर्तमान परिदृश्य
रासायनिक उर्वरकों के अनियंत्रित उपयोग ने मिट्टी को गंभीर संकट में डाल दिया है। अगर यह प्रवृत्ति जारी रही, तो 2030 तक कृषि उत्पादन और खाद्य सुरक्षा पर विनाशकारी प्रभाव हो सकता है। यह आवश्यक है कि हम अपनी मिट्टी की सेहत को पुन: स्थापित करने के लिए टिकाऊ कृषि पद्धतियों को अपनाएं और रासायनिक उर्वरकों पर निर्भरता को कम करें। तभी हम एक स्वस्थ और सुरक्षित भविष्य सुनिश्चित कर सकते हैं।
मिट्टी बिना खेत कैसे, खेत बिना भोजन ?
मृदा हमारी पृथ्वी का सबसे मूल्यवान प्राकृतिक संसाधन है। जो खाद्य उत्पादन, पारिस्थितिकी तंत्र के संतुलन और जलवायु स्थिरता का आधार स्तम्भ है। स्वस्थ मृदा वह है, जो पौधों को बिना किसी बीमारी अथवा अतिरिक्त बाहरी सहायता के बढऩे में मदद करती है। वर्तमान में मृदा का स्वास्थ्य गिरता जा रहा है जो मानवता और पारिस्थितिकी तंत्र के लिए अत्यधिक चिंताजनक हैं।
झोपड़ी में चमके गा सफेद सोना
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना: आईएचआईटीसी, दुर्गापुरा को मिला तीन वर्षीय प्रोजेक्ट जयपुर। शायद ही कोई हो, जिसे मशरूम खाना पसंद नहीं हो। पिछले कुछ समय में मशरूम खाने वालों की संख्या में काफी वृद्धि हुई है। इसका लाभ अब किसानों को भी मिलने लगा है।
उत्पादन और आमदनी में आयेगा ज्वार
एमपीयूएटी, उदयपुर ने विकसित की ज्वार की नई किस्म प्रताप ज्वार-2510
मवेशियों का लीवर कमजोर रही है सत्यानाशी
सरसों का उत्पादन गिराने मेंं निभाती है महत्वपूर्ण भूमिका जयपुर। यहां-वहां खरपतवार के रूप में उगने वाली सत्यानाशी और झरमरी पशुओं के स्वास्थ्य के लिए खतरा बनती जा रही है। पशुधन विशेषज्ञों की माने तो इसको खाने से पशुओं का लीवर कमजोर हो रहा है।